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शनिवार, 23 मई 2015

Starvation death : shame on society

विकासोंन्‍मुखी व अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उभर कर आए नए भारत की वर्षगांठ की बधाईयां, लेकिन इस एतिहासिक दिवस पर एक ऐसी खबर सुनी जिससे मैं भीतर तक हिल गया, आंसू ना रोक पाया, यह घटना उस राज की है जिसकी सावर्जनिक वितरण प्रणाली को दूनियाभर में सराहा गया, हालांकि वहां लाखों फर्जी राशन कार्ड भी सामने आ चुके हैं, एक बच्‍चा भूख्‍ख से मर जाता हैृ, उसके पोस्‍टमार्टम में पता चलता है कि उसके पेट में कई दिनों से अन्‍न का एक दाना नहीं गया था, भूख से उसकी अंतडिया सिकुड गई थीं, बाप काम की तलाश में भटक रहा था, लेकिन काम नहीं था, विकास, छबि, आम इंसान के सरोकार की यह कौन सी नीति ? जरा विचार करें , महज आलोचना नहीं, यह मुल्‍क की हर सरकार की जिम्‍म्‍ेदारी माना जाए , बंहद संवेदनशील मसला है, यदि इसे पूरा पढ नहीं सकते तो ना तो लाईक करें ना ही टिप्‍प्‍णी करें और ना ही ज्ञान बांटें.........
रोजी-रोटी की तलाश में तीन मासूम बच्चों को साथ लेकर निकला पिता,जंगल में दो बच्चों से बिछड़ गया। पिता से बिछड़े मासूम का शव शुक्रवार की सुबह कतकालो के डुमरपारा में पेड़ के नीचे मिला एवं उसके भाई की हालत भी नाजुक थी। ग्रामीणों के सहयोग से दूसरे बच्चे को बचा लिया गया।
लू, भूख व प्यास से मासूम बालक की मौत की संभावना जताई जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पेट की अतड़ियां सिकुड़ी पाई गई। चिकित्सकों ने भी इसकी पुष्टि की है कि मृत बालक के पेट में अन्न का एक दाना नहीं था। भूख, प्यास की वजह से ही उसकी मौत हुई है। मासूम के शव को पंचनामा, पोस्टमार्टम के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। मृत बालक का सबसे बड़ा भाई भी लापता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जानकारी के अनुसार विकासखंड मैनपाट के नर्मदापुर खालपारा निवासी संगतराम मांझी अपने तीनों पुत्र राजाराम 9 वर्ष, सरवन 6 वर्ष एवं शिवकुमार 5 वर्ष के साथ रोजी-रोटी की तलाश में मंगलवार को पैदल ही सीतापुर आया था। यहां बच्चों के साथ उसने दो दिन बिताया। गुरुवार की शाम को वह अपने तीनों बच्चों को लेकर सखी के यहां ग्राम पीड़िया जाने निकला था। रात हो जाने के कारण अंधेरे में उससे दो बच्चे सरवन एवं शिवकुमार बिछड़ गए और भटकते हुए दोनों कतकालो डूमरपारा पहुंच गए।
ज्यादा रात होने की वजह से दोनों सुनसान इलाके में स्थित सेमर पेड़ के नीचे पड़े रहे। बताया जा रहा है कि शुक्रवार की सुबह आठ बजे कतकालो गांव की एक महिला पगडंडीनुमा रास्ते से अपने खेतों की ओर जा रही थी। अचानक उसकी नजर पेड़ के नीचे बेसुध पड़े बच्चों पर गई। महिला तत्काल मौके पर पहुंची तो देखा कि शिवकुमार की सांसे थम चुकी थी,जबकि उसके भाई सरवन की हालत भी गंभीर थी।
महिला ने घटना की सूचना बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता रीतेश गुप्ता को दी। वे तत्काल मौके पर पहुंचे और गंभीर हालत में पहुंच चुके मासूम सरवन को खाना खिलाया तथा उसकी देखभाल शुरू की। गांव के चौकीदार के माध्यम से घटना की सूचना सीतापुर थाने में भिजवाई गई। घटना की गंभीरता को देखते हुए सीतापुर थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस बल तत्काल मौके पर पहुंचा और सरवन के भोजन पानी, छाया की व्यवस्था करा स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों को उसकी निगरानी में लगाया।
पुलिस जांच में पता चला कि मासूम भाई भटकते हुए कतकालो के डुमरपारा के पास पेड़ के पास पहुंचे थे। दिन में प्रचंड गर्मी और लू से भी उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। जीवित बचे सरवन के मुताबिक उसके छोटे भाई शिवकुमार ने उससे खाना-पानी मांगा था परंतु उसकी भी हालत खराब हो चुकी थी। इसी बीच शिवकुमार भूख से तड़पने लगा और उजाला होने से पहले उसकी सांसे थम गई। भूखे, प्यासे सरवन की हालत भी नाजुक हो चुकी थी परंतु गांव की एक महिला की नजर पड़ जाने के कारण उसे बचा लिया गया है।
पिता पहुंचा घर, बड़े बेटे का पता नहीं-
घटना का दुखद पहलू यह है कि संगतराम के एक बेटे की मौत हो चुकी है, दूसरा बेटा किसी तरह बचा है लेकिन उसके बड़े बेटे राजाराम का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है। वहीं पिता संगतराम घर पहुंच चुका है। पुलिस पूछताछ में पता चला है कि सीतापुर से सखी के यहां पिड़िया जाने निकले संगतराम से उसके तीनों बेटे बिछड़ गए थे। दो तो एक साथ थे लेकिन बड़ा बेटा राजाराम कहीं अलग भटक गया था। पिता संगत राम भी भटक कर फूलवारी जंगल पहुंच गया था। संगतराम के भाई शंकर को जानकारी लगने पर वह उसे घर लेकर चला गया। बड़े बेटे का अभी तक कोई पता नहीं चलने से परिजनों के साथ पुलिस भी बेचैन है।
राशनकार्ड निरस्‍त होने के बाद दाने-दाने काे मोहताज
संगतराम का परिवार बेहद गरीब था और अभावों में बमुश्किल परिवार का गुजर बसर हो रहा था। आर्थिक तंगी के कारण संगतराम के बीमार पत्नी की मौत पहले ही हो चुकी थी। तीनों बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी संगतराम के कंधों पर ही थी। उसके पास गरीबी रेखा का राशन कार्ड था जिसमें 35 किलो चावल मिलता था, परंतु कार्ड सत्यापन के दौरान उसका राशनकार्ड निरस्त कर दिया गया था।
इससे 35 किलो चावल मिलना भी बंद हो गया था एवं यह गरीब परिवार दाने-दाने को भी मोहताज हो गया था। आर्थिक तंगी और अभावों के कारण संगत की मानसिक स्थिति भी शायद खराब हो गई थी और यही कारण था कि वह अपने बच्चों के साथ रोजी-रोटी की तलाश में घर छोड़कर सीतापुर चला गया था।
कैसे छूटे बच्चे, जांच का विषय-अपने पिता के साथ निकले तीन बच्चे अपने पिता से कैसे बिछड़ गए, यह जांच का विषय है। संभवतः पिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी हालांकि वह इस संबंध में कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं है।
पेट में नहीं मिला अन्न का एक दाना
मृत मासूम शिवकुमार की मौत के बाद सीतापुर में उसका पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम में शिवकुमार की अतड़ियां सिकुड़ी पाई गई। डा.एसएन पैकरा व डा.एम निकुंज की टीम ने शिवकुमार का पोस्टमार्टम किया। चिकित्सकों ने बताया कि भूख की वजह से शिवकुमार की अतड़ियां सिकुड़ गई थीं। पेट में अन्न का एक दाना नहीं था। बहरहाल सीतापुर पुलिस मामले में मर्ग कायम कर जांच में जुटी हुई है। पोस्टमार्टम पश्चात शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है।
मृत बालक के शरीर में कहीं भी चोट के निशान नही हैं। भूख और गर्मी के कारण संभवतः उसकी मौत हुई है। मृत बालक के भाई का भी स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया है। वह स्वस्थ्य है। -विनोद कुमार अवस्थी, टीआई, सीतापुर
मृत बालक का पेट पूरी तरह से खाली था। उसकी अंतड़ियां सिकुड़ गई थीं। लू लगने और भूख, प्यास के कारण बालक की मौत होने की पूरी संभावना है। मृत बालक के बड़े भाई को भी पुलिसकर्मी लेकर आए थे। उसे बुखार था। स्वास्थ्य जांच और उपचार के बाद उसे दवाईयां दी गई हैं। - डॉ.एसएन पैकरा, चिकित्सक, सीतापुर अस्पताल

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