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बुधवार, 27 मई 2015

stop communal violance in atali

अटाली जल गया और दिल्‍ली को खबर नहीं हुई

अटाली दिल्‍ली की सीमा पर ही है वल्‍लभगढ का एक गांव, मुख्‍य सडक से सटा हुआ, वहां के कोई 150 औरतें, बच्‍चे, बूढे बीते दो दिनों से वल्‍लभगढ थाने में खुले में रह रहे है , 47 डिगरी तापमान में भी , पुलिस ने तो कह दिया कि दो समुदाय के बच टकराव हुआ, और धारा 144 लगा दी गई है, लेकिन हकीकत तो यह है कि टकराव नहीं हमला हुआ, वह भी ठीक उसी तरह जैसा कि तीन साल पहले पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में बडे हिस्‍से में हुए थे,
अटाली गांव मूल रूप से जाटों का गांव है, इसके बाहरी इलाके में मुसलमान कई सदियों से रहते हैं, गांव में एकता की मिसाल है मुसलमानों के मुहल्‍ले में ही बनी मस्जिद के ठीक बगल में गांव का पुराना और छोटा मंदिर है। गांववालों के मुताबिक यह खेरा देवत मंदिर है। गांव में शांति और किसी आपदा से बचने के लिए जेठ के महीने में यहां हर दिन जल चढ़ाया जाता है। त्रासदी यह है कि अटाली गांव में सांप्रदायिक तनाव जेठ के उसी महीने में हुआ जब गांव की औरतें मंदिर में मत्था टेककर और जलअर्पित करके शांति की कामना कर रही थीं। लेकिन सालभर यह मंदिर सुरक्षित व साफ रहता है, गांव में तनाव पहले से ही था, मसला था एक जमीन पर कब्‍जे को ले कर , जमीन ग्राम पंचायत की थी। कब्रिस्तान बनाने के इरादे से मुसलमानों को दी गई थी। 70 के दशक में वक्फ बोर्ड का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस ज़मीन का मालिकान हरियाणा वक्फ बोर्ड के पास चला गया। शुरू में मुसलमान यहां एक अस्थायी चबूतरे पर नमाज़ पढ़ते थे। 6-7 साल पहले इन्होंने यहां मस्जिद बनाने का इरादा किया था। असल में वह जमीन 1970 से हरियाण वक्‍फ बोर्ड की है और इस पर मुसलमान नमाज पढते रहे हैं, हाल ही में वहां मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ, उस पर अदालती कार्यवाही भी की गई, लेकिन मुसलमानों का पक्ष कानूनी था, गांव में पुलिस की तैनाती भी स्‍थाई तौर पर कर दी गई थीा इसके बावजूद बीते रविवार को वहां पेट्रोल, तलवार, व दीगर हथियारों से लेख भीड ने बीस मकान पूरी तरह जला दिए, एक ठेकेदार के घर पर खडी दो कारों को जला दिया, कई दुकानों को लूटा गया व आग लगा दी गई
निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरा दी गई, वहां खडे ट्रेक्‍टर को फूंक दिया गया, दुखद है कि दंगाईयों ने औरतों को भी नहीं छोडा, फिलहाल औरतों के साथ मारापीटी के नशिान तो थाने में दर्ज किए गए हैं, इस दंगे में नामजद 20 लोग पुलिस की पकड से बाहर हैं, मुसलमानों को अंदेशा है कि कभी भी आसपास गांव के कुछ लोग जुड कर उनकी कोई 100 घरों की बस्‍ती को पूरा मिटा सकते हैं

इस दंगे के पीछे की असली कहानी दूसरी ही है, इस गांव में एक बदमाश है, उसके खिलाफ एक मुूसलमान ने कुछ साल पहले मुकदमा किया था, जिसमें उसे सजा होने की पूरी गुंजाईश थी, उस बदमाश ने मस्जिद निर्माण को ले कर इस्‍तगासा दायर कर दिया, बाद में जाटों की तरु से कुछ लोगों ने मुसलमान पर दवाब बनाया कि तुम आपराधिक मुकदमा वापिस ले लो तो हम ममस्जिद वाला केस हटा लेंगे, बात बनते ना देख कर कतिपय बदमाशों ने ग्रामीणों को भडकाया व हालात ऐसे बने
अटाली में जो हो गया, वह केवल यहीं तक नहीं है, खबर है कि आसपास के कई गांवों में अफवाहें, उत्‍तेजना व भडकाउ हरकतें हो रही हैं और इसमें दोनो फिरकों के शैतान तबियत के लोग काम कर रहे हैं, जरूरत है दिल्‍ली के अमन पसंद लोग ऐसे गांवों में जाएं, शांति बैठकें करे, विश्‍वास बहाली के प्रयास करें, वरना यह आग भ्‍डक गई तो वैसे ही तापमान 47 है, ऐसे में यह आग तेजी से सुलगेगी और कोई भी अमनपसंद, ज्‍महूरियत पसंद सुकुन से नहीं रह पाएगा
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