सीमा विवाद में नरक भोगते मछुआरे
पंकज चतुर्वेदीRAJ EXPRESS M.PM. 29-8-15 |
न्यू ब्राईट टाईम्स गुडगावं 30 अगस्त 15 |
जब से षहरी बंदरगाहों पर जहाजों की आवाजाही बढ़ी है तब से गोदी के कई-कई किलोमीटर तक तेल रिसने ,षहरी सीवर डालने व अन्य प्रदूशणों के कारण समु्रदी जीवों का जीवन खतरे में पड़ गया है। अब मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए बस्तियों, आबादियों और बंदरगाहों से काफी दूर निकलना पड़ता है। जो खुले समु्रद में आए तो वहां सीमाओं को तलाषना लगभग असंभव होता है और वहीं देानेां देषों के बीच के कटु संबंध, षक और साजिषों की संभावनाओं के षिकार मछुआरे हो जाते है।। जब उन्हें पकड़ा जाता है तो सबसे पहले सीमा की पहरेदारी करने वाला तटरक्षक बल अपने तरीके से पूछताछ व जामा तलाषी करता है। चूंकि इस तरह पकड़ लिए गए लोगों को वापिस भेजना सरल नहीं है, सो इन्हें स्थानीय पुलिस को सौंप दिया जाता है। इन गरीब मछुआरों के पास पैसा-कौडी तो होता नहीं, सो ये ‘‘गुड वर्क’’ के निवाले बन जाते हैं। घुसपैठिये, जासूस, खबरी जैसे मुकदमें उन पर होते है।। वे दूसरे तरफ की बोली-भाशा भी नहीं जानते, सयो अदालत में क्या हो रहा है, उससे बेखबर होते है।। कई बार इसी का फायदा उठा कर प्रोसिक्यूषन उनसे जज के सामने हां कहलवा देता है और वे अनजाने में ही देषद्रोह जैसे अरोप में पदोश बन जाते हैं। कई-कई सालों बाद उनके खत अपनों के पास पहुंचते है।। फिर लिखा-पढ़ी का दौर चलता है। सालों-दषकों बीत जाते हैं और जब दोनों देषेां की सरकारें एक-दूसरे के प्रति कुछ सदेच्छा दिखाना चाहती हैं तो कुछ मछुआरों को रिही कर दिया जाता है। पदो महीने पहले रिहा हुए पाकिस्तान के मछुआरों के एक समूह में एक आठ साल का बच्चा अपने बाप के साथ रिहा नहीं हो पाया क्योंकि उसके कागज पूरे नहीं थे। वह बच्चा आज भी जामनगर की बच्चा जेल में है। ऐसे ही हाल ही में पाकिस्तान द्वारा रिहा किए गए 163 भारतीय मछुआरों के दल में एक दस साल का बच्चा भी है जिसने सौंगध खा ली कि वह भूखा मर जाएगा, लेकिन मछली पकड़ने को अपना व्यवसाय नहीं बनाएगा।
यहां जानना जरूरी है कि दोनेां देषों के बीच सर क्रीक वाला सीमा विवाद भले ही ना सुलझे, लेकिन मछुआरों को इस जिल्ल्त से छुटकारा दिलाना कठिन नहीं है। एमआरडीसी यानि मेरीटाईम रिस्क रिडक्षन सेंटर की स्थापना कर इस प्रक्रिया को सरल किया जा सकता है। यदि दूसरे देष का कोई व्यक्ति किसी आपत्तिजनक वस्तुओं जैसे- हथियार, संचार उपकरण या अन्य खुफिया यंत्रों के बगैर मिलता है तो उसे तत्काल रिहा किया जाए। पकड़े गए लोगों की सूचना 24 घंटे में ही दूसरे देष को देना, दोनों तरफ माकूल कानूनी सहायत मुहैया करवा कर इस तनाव को दूर किया जा सकता है। वैसे संयुक्त राश्ट्र के समु्रदी सीमाई विवाद के कानूनों यूएनसीएलओ में वे सभी प्रावधान मौजूद हैं जिनसे मछुआरों के जीवन को नारकीय होने से बचाया जा सकता है। जरूरत तो बस उनके दिल से पालन करने की है।
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