क्या
चरथावल गांव का नाम सुना है ? मुजफफरनगर का नाम तो याद ही होगा.. यहां की
एक घटना जो हम सभी के लिए प्रेरणा हो सकती हैा यह एक विकसित कस्बा है कोई
चालीस हजार आबादी का, गन्न्ेा की फसल के कारण लोगों में खुशहाली है, यहां
मुस्लिम परिवार ज्यादा हैं, पिछले दिनों यहां के त्यागी मुस्लिम परिवारों
की खाप पंचायत हुई व उसमें इस बात पर विमर्श हुआ कि शादियों में खर्च कैसे
कम किया जाए, फैसला हुआ कि बारात में पांच से ज्यादा लेाग नहीं जाएंगे
ताकि लडकी वालों पर वजन ना पडे, पिछले सप्ताह ही
कस्बे के प्रधान चौधरी फतेहदीन त्यागी के बेटे की शादी बागपत जिले में
तय हुईा घर में बारात जाने लायक दो सौ से ज्यादा मेहमान थे . पूर्व
चैयरमैन फतेहदीन त्यागी के पुत्र फिरोज व ईशा त्यागी के पुत्र गालिब की
शादी गौसपुर जिला बागपत में तय हुई थी दोनों की बारात एक जगह व एक साथ जानी
थी उसके लिए 16 नवम्बर की तारीख तय हुई थी
कौन जाए व किसे छोडें, नाराजगी का भी ख्तरा, फिर प्रधानजी ने सभी रिश्तेदारों के नाम पर्चियों पर लिखवाए, एक बच्चे से पांच पर्चियां उठवाई और जिनके नाम निकले वही पांच बारात में गए, इसमें दुल्हे का सगा भाई व जीजा के नाम भी नहीं थे, बारात बगैर किसी तडक भडक के गई पांच लोगों के साथ वापिस आक र चौधरी फतेहदीन ने बढिया भेाज दिया, जिसमें सभी शामिल हुए...... काश ऐसे प्रयोग हम आप भी करें
जब चरथावल को खोज रहा था तो यहां की एक और घटना ऐसी मिली जिसे अपसे साझा करना जरूरी है ......चरथावल में एक ऐतिहासिक मुगकालीन मंदिर मौजूद है। यह मंदिर देखने में बेहद आकर्षक है इस मंदिर की बनावट तो मुगल स्थापत्य कला से ताल्लुक रखती है। इस मंदिर को प्रदेशभर में ठाकुरद्वारा के नाम से पुकारा जाता है। इस भव्य मंदिर की सबसे बडी खासियत यह है कि इसका सम्बन्ध मुगलों के शासन काल से जुडा है। चरथावल के स्थानीय निवासियों का कहना है कि इसका निर्माण जहांगीर ने करवाया था।
मंदिर के विषय में चरथावल के निवासी महेन्द्र ने बताया कि इस मंदिर को तोडने की जुगत मे लगे एक मुगल अधिकारी ने इसकी नींव ओर छज्जों को तोडने का का कार्य शुरू किया, तब इस नगर के लोगो ने इकठ्ठा होकर उस अधिकारी से इस मंदिर को न तोडने की फरियाद की लेकिन मुगल अधिकारी नही माना।
इसके बाद क्षेत्र के लोग बादशाह औरगंजेब के पास पहुँचे ओऱ उन्हे इस विषय से अवगत कराया, उसी वक्त बादशाह ने फरमान सुनाया कि एक आला अधिकारी तुरंत उस अपराधी को पकडकर लाये तथा उस मंदिर की मरम्मत करायें।जिसके बाद बादशाह के द्वारा भेजे गये अधिकारी ने इस मंदिर का जीर्णोध्दार कराया तथा इस मंदिर के परिसर के लिये जगह भी बढा दी। इस मंदिर के मुख्य दरवाजे पर लगे पत्थर से पता चलता है कि सन् 1930 में तीसरी बार इसका जीर्णोध्दार कराया गया। ठाकुरद्वारा मंदिर हिन्दु- मुस्लिम के भाईचारे की एक अद्भुत मिसाल है।
कौन जाए व किसे छोडें, नाराजगी का भी ख्तरा, फिर प्रधानजी ने सभी रिश्तेदारों के नाम पर्चियों पर लिखवाए, एक बच्चे से पांच पर्चियां उठवाई और जिनके नाम निकले वही पांच बारात में गए, इसमें दुल्हे का सगा भाई व जीजा के नाम भी नहीं थे, बारात बगैर किसी तडक भडक के गई पांच लोगों के साथ वापिस आक र चौधरी फतेहदीन ने बढिया भेाज दिया, जिसमें सभी शामिल हुए...... काश ऐसे प्रयोग हम आप भी करें
जब चरथावल को खोज रहा था तो यहां की एक और घटना ऐसी मिली जिसे अपसे साझा करना जरूरी है ......चरथावल में एक ऐतिहासिक मुगकालीन मंदिर मौजूद है। यह मंदिर देखने में बेहद आकर्षक है इस मंदिर की बनावट तो मुगल स्थापत्य कला से ताल्लुक रखती है। इस मंदिर को प्रदेशभर में ठाकुरद्वारा के नाम से पुकारा जाता है। इस भव्य मंदिर की सबसे बडी खासियत यह है कि इसका सम्बन्ध मुगलों के शासन काल से जुडा है। चरथावल के स्थानीय निवासियों का कहना है कि इसका निर्माण जहांगीर ने करवाया था।
मंदिर के विषय में चरथावल के निवासी महेन्द्र ने बताया कि इस मंदिर को तोडने की जुगत मे लगे एक मुगल अधिकारी ने इसकी नींव ओर छज्जों को तोडने का का कार्य शुरू किया, तब इस नगर के लोगो ने इकठ्ठा होकर उस अधिकारी से इस मंदिर को न तोडने की फरियाद की लेकिन मुगल अधिकारी नही माना।
इसके बाद क्षेत्र के लोग बादशाह औरगंजेब के पास पहुँचे ओऱ उन्हे इस विषय से अवगत कराया, उसी वक्त बादशाह ने फरमान सुनाया कि एक आला अधिकारी तुरंत उस अपराधी को पकडकर लाये तथा उस मंदिर की मरम्मत करायें।जिसके बाद बादशाह के द्वारा भेजे गये अधिकारी ने इस मंदिर का जीर्णोध्दार कराया तथा इस मंदिर के परिसर के लिये जगह भी बढा दी। इस मंदिर के मुख्य दरवाजे पर लगे पत्थर से पता चलता है कि सन् 1930 में तीसरी बार इसका जीर्णोध्दार कराया गया। ठाकुरद्वारा मंदिर हिन्दु- मुस्लिम के भाईचारे की एक अद्भुत मिसाल है।
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