भारत-पाक तल्ख रिश्तों की बानगी है बच्चों का स्कूल छुड़वाना
पंकज चतुर्वेदीहाल ही में भारत ने पाकिसतान स्थित अपने उच्चयोग का दर्जा घटा कर ‘‘नो स्कूल गोईंग’ का करते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है। भारत के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की साख एक असुरक्षित देश के तौर पर दर्ज हुई है और यह उसके लिए वैश्विक रूप से बेहद शर्मनाक है। सनद रहे कि भारत के विदेशों में दूतावास व उच्चायोग के कर्मचारी अपने बच्चों को उन्हीं देशों में शिक्षा दिलवाते हैं। कई देशों में तो भारत के सीबीएसई और आईसीएससी बोर्ड के स्कूल हैं। लेकिन जिन देशों के भीतरी हालात खतरनाक होते हैं वहां भारतीय मिशन को अपने बच्चों को साथ रखने या उनकी शिक्षा वहां करवाने की अनुमति नहीं होती है। कश्मीर में कुख्यात आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जानेे के बाद पाकिस्तान की हरकतों से खफा भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायेाग के कर्मचारियों को निर्देश दे दिया कि वे अपने बच्चें की शिक्षा की व्यवस्था पाकिस्तान से बाहर करें।
भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को परामर्श दिया है कि वे अपने बच्चों को स्थानीय स्कूलों से हटा लें और उनकी पढ़ाई का प्रबंध पाकिस्तान के बाहर करें। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि सरकार समय-समय पर विदेशों में अपने मिशनों में तैनात कर्मचारियों एवं उनके मुद्दों की तत्कालीन परिस्थितियों की समीक्षा करती रहती है।इसी के तहत इस्लामाबाद में तैनात अपने अधिकारियों को सलाह दी गई है कि वे अपने बच्चों की शिक्षा का प्रबंध पाकिस्तान के बाहर कर लें। प्रवक्ता ने बताया कि इस संबंध में निर्णय पिछले साल जून में ही ले लिया गया था ताकि अधिकारियों को वैकल्पिक इंतजाम करने का पर्याप्त समय मिल जाए। उन्होंने बताया कि इस बारे में पाकिस्तान सरकार को भी बता दिया गया है. सरकारी सूत्रों के अनुसार यह परामर्श केवल सुरक्षा कारणों से जारी किया गया है। इस फैसले से करीब पचास बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए इस्लामाबाद से भारत लौटना होगा। जाहिर है कि यह बच्चों के लिए एक कठिन कार्य होगा, लेकिन भारत सरकार उन बच्चों के भारत या अन्य किसी देश में प्रवेश व उनकी पढ़ाई की भरपाई के तत्काल कदम उठा रही है।
इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के बच्चों को सिर्फ दो स्कूलों- इंटरनेशनल स्कूल ऑफ इस्लामाबाद या अमेरिकन स्कूल और रूट्स इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाने की अनुमति है। इस पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, ‘‘यह एक अनौपचारिक, अंदरूनी, प्रशासनिक व्यवस्था है जिसकी हमें दो महीने पहले सूचना दे दी गयी थी। इसके अलावा हमें कोई और बात नहीं बतायी गयी है।’’
पाकिस्तान में भारत का उच्चायोग आजादी के बाद से यानि 1947 से कार्यरत है। पहले यह कार्यालय कराची में था । सन 1960 में इस्लामाबाद में राजधानी बनने के बाद यह वहां आ गया। पाकिस्तान में हमारे उच्चायुक्त, उपउच्चायाुक्त के अलावा राजनीतिक, सांस्कृतिक, सुरक्षा, वीजा, प्रशासन, परियोजना आदि अनुभागों में कुल 17 वरिश्ठ अधिकारी पदस्थ है, जिनमें कई सेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं। हालांकि भारत ने यह कदम तब प्रचारित किया है जब पाकिस्तान की सरकार ने कश्मीर में आतंकवादियों से कड़ाई से निबटने के विरोध में पाकिस्तान में काला दिवस मनाया था और भारत की कश्मीर नीति पर जहर उगला था। उससे पहले भारतीय उच्चायोग पर प्रदर्यान व षहर में भारतीयों के खिलाफ लगाए गए पोस्टरों से उपजे भय को प्रमाण्ण के तौर पर प्रस्तुत कर भारत ने अंतरराश्ट्रीय बिरादरी को उजागर किया है कि पाकिस्तान के हलात विदेशियों के लिए माकूल नहीं है। दिसंबर-2014 में पेशावर के एक स्कूल में आतंकवादियों द्वारा सैंकड़ों बच्चों की हत्या की नृशंस घटना तो लेागों के स्मृति पटल पर हैं ही।
वैसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इसे एक बड़ा कदम कहा जाता है। जानकारी के मुताबिक ऐसा कारगिल युद्ध के वक्त भी नहीं हुआ। हां, पाकिस्तान के साथ वर्ष 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान जरूर यह कदम उठाया गया था। उस समय भारत ने अपना अधिकांश स्टाफ ही वापिस बुलवा लिया था। कहने की जरूरत नहीं है कि हमारा खुफिया तंत्र पाकिस्तान की हर हरकत पर गहरी नजर रखता है। यह भी सही है कि पाकिस्तान में हाफिज सईद व ऐसे ही कई अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी खुलेआम घूम रहे हैं। हो सकता है कि कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान में जिस तरह से लोगों को उकसाया जा रहा है उससे सुरक्षा खतरे की किसी गोपनीय सूचना को देखते हुए यह कदम उठाया गया हो। भारत मानता है कि पाकिस्तान की गतिविधियां बेहद आपत्तिजनक हैं। भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के बच्चे अगर पाकिस्तान के स्कूलों में जाते हैं तो उनकी सुरक्षा को भी खतरा होने की संभावना है। इसलिए सरकार ने इस तरह के निर्देश जारी किए हैं। ं
यह बात इशारा तो कर रही है कि दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। इन दिनों पाकिस्तान के अलग अलग षहरों में नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर सैनिक शासन के पोस्टर भी चस्पा किए गए हैं। नवाज शरीफ की पकड़ सत्ता पर ढ़ीली होती जा रही है। संभव है कि वहां किसी बड़े खून-खराबे की आशंका या संभावना को देखते हुए भारत के उच्चायोग के स्टाफ के बच्चों को हटाया जा रहा हो। कहने की जरूरत नहीं है कि युद्ध व हिंसा के हालात में सबसे ज्यादा कष्ट बच्चे ही सहते हैं। भातर के इस कदम से पाकिस्तन में कई अन्य देशों के विदेशी राजनयीक भी सतर्क हो गए है। और इससे पाकिस्तान के विदेश्ी निवेश आकर्शित करने व वहां के पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका लगा है। वहीं भातर के इस कदम ने पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश दे दिया है कि यदि वह नहीं सुधरा तो बल प्रयोग से परहेज नहीं किया
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