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शनिवार, 20 अगस्त 2022

The youngest Prime Minister of India Rajiv Ratna Gandhi

 एक उम्मीद का जन्म



आज देश के सबसे युवा और स्वप्नदृष्टा प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की जन्म तिथि है . वे देश की आज़ादी के तीन साल पहले अर्थात 1944 को आज के दिन पैदा हुए थे . उन दिनों उनके नाना पंडित नेहरु अपनी नौवी अर्थात आखिरी जेल यात्रा पर थे . इंदिराजी 15 महीने पहले ही जेल से छूट कर आई थीं और उनके पिता फ़िरोज़ गांधी को जेल से आये एक साल हुआ था . उनका बचपन आज़ादी की हलचल , संघर्ष, हिंसा और नए भारत के उभरते सपनों में बीता . शायद तभी वे बहुत खामोश रहते थे ,
जब वे लन्दन पढने गए तो लम्बे समय बाद वहां लोगों को पता चला कि यह इंदिरा गांधी का बेटा है . वे अपने आर्थिक संकट से जूझने के लिए अन्य छात्रों की तरह बगीचे से फल तोड़ने, बेकरी में नाईट शिफ्ट , आईस क्रीम के ठेली लगाने और कई बार ट्रक लोड का काम करते थे . उन्हें अपने पिटा से एक सीख मिली थी –“अपना काम खुद करो “ और श्रम की महत्ता .
राजीव जी ने ट्रिनिटी कालेज केम्ब्रिज और इम्पीरियल कालेज लन्दन में शिक्षा पाई, मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिगरी लेने के बाद वे भारत आये और व्यावसायिक पायलेट का लाइसेंस ले कर एयर इंडिया की सेवा करने लगे- बिलकुल एक आम पायलेट की तरह फिर पारिवारिक संकट में अनमने मन से सियासत में आये और फिर देश को समझने के लिए एक जिज्ञासु छात्र की तरह दिन रात जुट गए .
जवाहर लाल नेहरू से भी ज्यादा बड़ी जीत के साथ राजीव गांधी सत्ता में आए थे. इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए और देश के प्रधानमंत्री बने. वह देश के सबसे युवा और गांधी परिवार से प्रधानमंत्री बनने वाले तीसरे सदस्य थे. राजीव गांधी ने जब देश की कमान संभाली थी उस वक्त वह सिर्फ 40 साल के थे.
साल 1985 में राजीव गांधी लाले किले की प्राचीर से देश को संबोधित करने के दौरान वह शुरुआती पांच-सात मिनट अपने नाना जवाहर लाल नेहरू और मां इंदिरा गांधी के बारे में ही बातें करते रहे थे. वह पहले भाषण में बार-बार इंदिरा गांधी का ही नाम लेते रहे. उनके पास इंदिरा की विरासत थी और सुफ-सुथरी पूंजी का कवच. उन्होंने कि देश की तरक्की के रास्ते पर चलने और 38 वर्षों की उपलब्धियों के बारे बताते हुए कहा था कि नेहरू और इंदिरा की योजनाओं के चलते आज देश विकसशील देशों की श्रेणी में आगे खड़ा है.
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मॉनसून के दगा देने के चलते देश में भयानक अकाल पड़ा था. उस वक्त उन्होंने देश के अलग-अलग इलाकों को दौरा किया. स्वतंत्रता दिवस पर उनके भाषणों में बेरोजगारी और गरीबी के लिए चिंता साफ दिखती थी. लेकिन लोगों के दिलों में यह बात थी कि उनका नेता जरूर कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा. चुनौतियां बनी रही लेकिन राजीव हर साल लोगों को नौकरियों की दुहाई देते रहे.
राजीव ने 1987 में लाल किले कि प्रचार से कहा था कि युवकों में एक निराशा कभी-कभी दिखलाई देती है. देश के करोड़ों युवक काम ढूंढ नहीं पाते है. रोजगार नहीं पाते हैं. हमारी कोशिश है कि ढांचे में जो कमजोरियां हैं उनको दूर करने का काम किया जाए.
राजीव गांधी ने लाल से अपने पहले ही भाषण में सत्ता की दलाली जैसे शब्दों का इस्तेमाल का था और कहा था कि सत्ता के दलालों को टिकने नहीं दिया जाएगा. इससे उनका इशारा साफ था कि सत्ता संरक्षित दलाली उनकी सरकार में नहीं चलेगी. शायद तभी आरएसएस ने उनकी सरकार के रक्षा मंत्री वीपी सिंह को मोहरा बना कर बोपोर्स तोप की खरीद में दलाली का मुद्दा उठाया और उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया. इसके बाद वीपी सिंह ने कांग्रेस छोड़ते हुए जन मोर्चा गठन कर बाद में जनता दल बनाया और बाद में आरएसएस की मदद से प्रधानमंत्री बने .
1986 के अपने भाषण के दौरान उन्होंने न सिर्फ भारत को संबोधित किया बल्कि उन विविधताओं के बारे में बात कि जिनसे भारत बनता है. उन्होंने कहा था- "एक भारतीय होने का मतलब यह नहीं है कि हम केवल देश के निवासी हैं... हमारे पास संस्कृतियों की विविधता है. हम अलग-अलग धर्मों के हैं- हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध... हम सभी धर्मों और आस्था को सम्मान देते हैं. इसी तथ्य से हमारी ताकत और एकता बढ़ती है. यही एकमात्र रास्ता है जिसका हमें अनुसरण करना चाहिए, क्योंकि हमारी ताकत हमारी विविधता में निहित है."
वह भाषण जिसकी आज मजाक बनाते हैं 15 पैसे नीचे नहीं जाते—उसकी हकीकत
1985 की बात है। भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी सूखे प्रभावित ओडिशा के कालाहांडी जिले में दौरे पर थे। उन्होंने कहा था कि सरकार जब भी 1 रुपया खर्च करती है तो लोगों तक 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं। यहां राजीव बीच के भ्रष्टाचार का जिक्र कर रहे थे। अपने उस भाषण में राजीव ने कहा था कि देश में बहुत भ्रष्टाचार है। राजीव कहते हैं कि भ्रष्टाचार ग्रासरूट लेवल पर है जिसे दिल्ली से बैठकर दूर नहीं किया जा सकता।
श्री गांधी ने भारत की साक्षरता दर में सुधार करने के लिए कई उत्कृष्ट प्रयास किए। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) और जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना हुई। भारत में शिक्षा को एक नई दिशा और नया बल प्रदान करने के उद्देश्य से 1986 की नई शिक्षा नीति उन्हीं के कार्यकाल में लाई गयी।
पर्यावरण ,प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में श्री गांधी की रुचि पर्यावरण के क्षेत्र में किए गए उनके कार्यों में दिखाई देती है। धरती और जीवन के लिए आसन्न संकट को भांपते हुए उन्होंने संसद में पर्यावरण (संरक्षण) विधेयक, 1986 पेश किया। इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों ने पारित किया और 23 मई, 1986 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई। इसके अलावा श्री गांधी ने 1952 की राष्ट्रीय वन नीति की समीक्षा भी कराई और 1988 की नई वन नीति तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नई नीति ने वन संसाधनों के टिकाऊ उपयोग पर बल दिया। भारत की सर्वप्रथम जल नीति भी राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद द्वारा 1987 में तभी अपनाई गई जब श्री राजीव गांधी इस परिषद् के अध्यक्ष थे।
मुझे आज भी भरोसा है कि राजीव गांधी की हत्या भले ही लिट्टे ने की हो लेकिन उसके पीछे साजिश में वे देश थे जो राजीव गांधी के विकास के दूरगामी क़दमों से हिले हुए थे, वे लोग थे, जो हथियारों के दलाल थे और वे लोग भी थे जो जान गये थे कि यदि प्रगति के मुद्दे पर चुनाव हुए तो राजीव को कभी भी हराना संभव नहीं होगा – राजीव गांधी की ह्त्या एक तेजी से बढ़ते देश की योजनाओं और सपनो की ह्त्या थी .
हमें ख़ुशी है कि मैंने राजीव जी को पार्टी के महामंत्री और देश के प्रधान मंत्री के रूप में काम करते देखा है और उनकी देन- कम्प्यूटर, स्कूली शिक्षा, आयोडीन नमक, जल मिशन ने देश में एक बड़े बदलाव का प्रादुर्भाव किया था .
जय हो राजीव जी
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