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शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

Hindu Population :Pakistani census data is not trustworthy

 

भरोसे लायक नहीं हैं पाकिस्तानी जनगणना के आँकड़े

पंकज चतुर्वेदी



पाकिस्तान ब्यूरो आफ स्टेटसटिक(पी बी एस) ने पिछले दिनों  आँकड़े जारी कर बताया कि पाकिस्तान में हिंदूपन की आबादी बढ़ गई हैं । इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान में वर्ष 2017 में हिन्दुओं की आबादी 35 लाख थी जो  वर्ष 2023 में बढ़कर 38 लाख तक पहुंच गई। एक तो समझना होगा कि पाकिस्तान के हिन्दू बाहुल्य रेगिस्तानी  इलाकों में कभी सलीके से जनगणना होती ही नहीं है , फिर वहाँ सिखों को अलग से गिना जाता है । सरकार की आंकड़ों को अब पाकिस्तान में निर्वाचित  हिन्दू नेता ही फर्जी बताया रहे हैं। समझना होगा कि एक तो पाकिस्तान में हिंदुओं की लड़कियों के जबरन अपरहण  और धर्म  परिवर्तन पर कभी कड़ी कार्यवाही होती नहीं, दूसरा वहाँ सरकार भी नहीं चाहती कि अल्पसंख्यकों की वास्तविक संख्या दिखाई जाए । उमरकोट  के आसपास सैंकड़ा भर गाँव  हिन्दू बाहुल्य हैं  और वहाँ सड़क, पानी, स्कूल जैसी सुविधाएं हैं नहीं ।

 पाकिस्तान के बड़े संगठनों, पाकिस्तान हिन्दू काऊंसिल के चेयरमैन डा.   रमेश कुमार वांकवानी और मुतहिदा राष्ट्रीय मूवमैंट की प्रांतीय असेंबली सदस्य डा.   मंगला शर्मा इन आंकड़ों को झूठ बताते हुए दस्तावेज प्रस्तुत कर रहे हैं कि सरकारी रिकार्ड में साल  2017 में हिन्दुओं की आबादी  44 लाख 44 हज़ार 870 गिनी गई थी । असलियत में आज आबादी एक करोड़  से अधिक है । अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार और भेदभाव पर पर्दा डालने के लिए इस तरह के फर्जी आँकड़े पेश किये जा रहे हैं। पी बी सी के आँकड़े तो  ईसाइयों  की आबादी में सात लाख की बढ़ोतरी  बता कर उनकी संख्या 33 लाख पहुँचने का दावा कर रहे हैं । वहाँ पारसी महज 2348 रह गए लेकिन सिखों की संख्या का खुलासा नहीं किया गया है ।

पाकिस्तान में सन 1951 में 1.  60 फीसदी हिन्दू आबादी थी।  1961 में 1.  45 प्रतिशत , सन 72 में 1.  11 , सन  1981 में 1.  85 और 2017 में 1.  73 प्रतिशत हिन्दू आबादी थी । इस साल यह आंकड़ा घट कर 1.  61 फीसदी रह गया है । चूंकि बड़ी संख्या में हिंदुओं के पास राष्ट्रीय पहचान पत्र (एन आई सी ) है नहीं सो उनकी गणना  होती नहीं , वरना यह आंकड़ा एक करोड़ से अधिक होगा ।  देश में सबसे ज्यादा हिन्दू  सिंध में, कुल आबादी का 8. 73 फीसदी हैं ।  पंजाब राज्य में 0.  19, खैबर पख्तुन्बा में 0.  02, बलोचिस्तान में 0.  40 और इस्लामाबाद में 0.  04 प्रतिशत हिन्दू आबादी का सरकारी आंकडा है ।   

राजस्थान से सटे थारपारकर जिले  में  सात लाख 14 हज़ार 698  हिन्दू रहते हैं तो मीरपुरखास में पांच लाख के करीब, सग्घर में चार लाख 46 हज़ार हैं तो बदिन, हैदराबाद , टंडो मुहम्मद खान और रहीम यार खान जिलों में एक से डेढ़ लाख हिन्दू रहते हैं यहाँ उमरकोट जिले की आबादी का 52। 15 फीसदी हिन्दू है और यहाँ के राजपूत शासक बड़े ताक़तवर हैं ।   हिन्दू बाहुल्य इलाकों से भी कभी हिन्दू सांसद या विधायक चुने नहीं जाते क्योंकि इस आबादी के नाम ही वोटर लिस्ट में होते नहीं या उनके वोट और कोई डालता  है ।  

पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनते हैं लेकिन कट्टरपंथी  जमात के विरोध के चलते ठन्डे बस्ते  में चले जाते हैं । दो साल पहले वहां 18 साल से कम के लोगों के धर्म परिवर्तन पर पाबंदी का कानून आया लेकिन मुल्ला- मौलवियों के विरोध के चलते उसे वापिस ले लिया गया ।  वहां धर्म परिवर्तन को सबाव अर्थात पुण्य का काम कहा  जाता है और इस्लामिक कानून के तहत ऐसी पाबंदी धर्म विरोधी कह कर गवर्नर ने कानून रद्द कर दिया था ।  

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की बीते साल की रिपोर्ट बेशर्मी से स्वीकार करती है कि देश में हर साल अल्पसंख्यक समुदाय की कोई एक हजार लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जाता है और ये 12 से 25 साल उम्र की होती हैं ।  सन 2004 से 2018 के बीच अकेले सिंध प्रान्त में 7430 हिन्दू लड़कियों के अपरहण के मामले दर्ज किये गये , कहने  की जरूरत नहीं कि वहां बड़ी संख्या में मामले थाना पुलिस तक जाते ही नहीं हैं ।  चूँकि सिंध के बड़े जागीरदारों के यहाँ  अधिकांश  हिन्दू  मजदुर हैं और वह भी तीन तीन पीढ़ियों से लगभग बंधुआ मजदुर की तरह, सो उनकी कोई आवाज़ नहीं होती ।   कराची शहर में हिन्दू आबादी डॉक्टर जैसे पेशे में सर्वाधिक है तो यहाँ सब्जी बेचने वाले भी अधिकंश हिन्दू हैं ।

पाकिस्तान का  शिक्षा तन्त्र सबसे  जहरीला है , वहां की स्कूली किताबों में  हिन्दुओं को खलनायक बताया जाता है और आज़ादी की लड़ाई में मुस्लिम लीग और कांग्रेस की भूमिका को हिन्दू-मुस्लिम टकराव , वहां की किताबों में देश के हिन्दुओं की वफादारी को भारत के साथ जोड़ा जाता है , वहां किसी भी किताब में किसी हिन्दू चरित्र की तारीफ़ की ही नहीं जाती ।  पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 20-22 में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लेख था लेकिन जुलाई  1977 में जिया उल हक ने  देश में मार्शल ला घोषित किया और संविधान में बदलाव कर  गैर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर कई पाबंदियां लगा दीं , पाकिस्तान में राष्ट्रपति केवल मुस्लिम ही बन सकता है और सभी उच्च पदों पर  मुस्लिम आयतों के साथ शपथ लेना अनिवार्य है ।  इसके कारण वहां हिन्दुओं को सदैव दोयम माना जाता है ।   पाकिस्तान में हिन्दुओं पर सबसे बड़ा खतरा वहां का ईश निंदा कानून है जिसकी आड़ में भीड़ हिंसा में किसी को भी मार देने पर कोई खास कार्यवाही नहीं होती।  

हिन्दू या सनातन धर्म का कम से कम तीन हजार साल पुराना अतीत सरहद पार है- मोईन जोद्रो या हड़प्पा के रूप में और हिंगलाज और कटासराज मंदिर सहित कई प्राचीन इमारतों के रूप में , दुर्भाग्य है कि पाकिस्तान बनते समय मुहम्मद अली जिन्ना  ने वहां धार्मिक आज़ादी की बात की थी लेकिन अब पाकिस्तान “जिन्ना के पाकिस्तान से जेहाद के पाकिस्तान” में तब्दील हो गया है  और इसका सबसे बड़ा खामियाजा हिन्दू आबादी को उठाना  पड रहा है । जनगणना के त्रुटिपूर्ण आँकड़े एक तरफ धर्मांतरण के पाप को ढंकने की काम आते हैं तो दूसरी तरफ जिस आबादी का रिकार्ड नहीं उसके लिए मूलभूत सुविधाओं की चिंता करने की जरूरत नहीं रह जाती। भारत में  नागरिकता कानून आने के बाद वहाँ से पलायन तेजी से हुआ है और शायद वहाँ के सरकार चाहती भी यही है लेकिन यह अनिवार्य है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय  पाकिस्तान में हिन्दू धर्म और उससे जुड़े  चिन्हों को सहेजने, वहां की हिन्दू आबादी को शैक्षिक और आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए पाकिस्तान सरकार पर दवाब बनाए ।

 

 

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