असफल राष्ट्र , विफल
फौज, निष्फल इंतजाम
पंकज चतुर्वेदी
बीते 15 दिनों से सारी दुनिया को पता था कि भारत पहलगाम का बदला लेगा और जाहीर था कि हवाई हमले की अधिक संभावना है । पाकिस्तान भी खूब दिखावा और बयानबाजी आकर रहा था । गौरी, अबदाली और फतेह जैसी मिसाइलें चल रहा था । अर्थात लगता था कि पाकिस्तानी फौज अलर्ट पर थी । लेकिन हुआ क्या जो 6-7 मई की रात जब भारत का “आपरेशन सिंदूर” हुआ तो न पाकिस्तान की कोई तकनीक काम आई और न फौज , न ही उसके दावे । एक असफल देश, अनैतिक फौजी और खुद से लड़ते लोग। जाहीर है भारत का मुकाबला क्या करते? वे सामना भी नहीं कर पाए ।
पाकिस्तान दुनिया से हथियार खरीदता है और निश्चित ही उसकी रक्षा योजना भारत के खिलाफ होती है । टर्की और चीन से मिले तंत्र जिस तरह निष्फल रहे उससे लगता है कि क्या पाकिस्तान को हथियार के नाम पर खिलौना दे दिया गया ?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जो कि 7 मई 2025 को भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर लक्षित हमले थे। इस
दौरान पाकिस्तान की रडार और वायु रक्षा प्रणालियों का कोई आता पता ही नहीं रहा ।
पाकिस्तान के पास चीन से खरीदे गए लो-लेबल एयर डिफेन्स रडार सिस्टम (एल एल ए डी आर एस) जे वाय -27ए , वायएलसी -6, वायएलसी -8बी जैसे राडार हैं जो लंबी दूरी पर और कम
ऊँचाई पर उड़ने वाले विमानों को भी ट्रैक कर सकते हैं। इसके अलावा स्वीडन से लिया गया जिराफ़ या साब -2000 विमान
भी हैं जिनमें राडार लगा है । इससे एयरस्पेस की निगरानी और कमांड एंड कंट्रोल
क्षमता में बढ़ोतरी होती है। चीन से लिया गया
जेड डी के -03 ए ई डब्लू तो लंबी दूरी से हवाई खतरों की निगरानी के लिए बना
है । ये सभी अत्याधुनिक तंत्र भारत की क्षमता और योजना के आगे बेकार हो गए ।
पाकिस्तान
द्वारा हमारे जहाजों को खोज न पाने का एक कारण भारत
द्वारा स्टैंडऑफ हथियारों का उपयोग किया जाना है । भारत ने स्टैंडऑफ हथियारों जैसे सकाल्प (SCALP) मिसाइलों का प्रयोग किया, जिन्हें भारतीय हवाई
क्षेत्र से लॉन्च किया गया, जैसा कि पाकिस्तान
की सेना ने पुष्टि की है। ये हथियार, जो लंबी दूरी से
हमला करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, संभवतः कम ऊंचाई की
उड़ान मार्गों या स्टील्थ विशेषताओं का उपयोग करके पाकिस्तान के रडार की पकड़ से
बच गए। पाकिस्तान ने 24 मिसाइल हमलों की सूचना दी, जिनमें कोई इंटरसेप्शन नहीं हुआ, जिससे पता चलता है
कि चीनी निर्मित HQ-9/P और LY-80 जैसे सिस्टम इन
मिसाइलों का पता लगाने या उनसे निपटने में असमर्थ रहे।
पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणालियों की सीमाएं:
पाकिस्तान की वायु रक्षा मुख्य रूप से चीनी प्रणालियों जैसे HQ-9/P (125–250 किमी रेंज), LY-80 (40–70 किमी), और HQ-16FE पर निर्भर है, साथ ही HT-233 और IBIS-150 जैसे रडारों के साथ। ये प्रणालियाँ कागज पर उन्नत होने के बावजूद कमजोरियां
प्रदर्शित कर चुकी हैं। उदाहरण के लिए, HQ-9/P की क्रूज मिसाइलों
के खिलाफ प्रभावशीलता लगभग 25 किमी तक सीमित है, जो कि इसके एयरक्राफ्ट एंगेजमेंट रेंज से काफी कम है। इसके अलावा, LY-80 जैसे सिस्टम अर्ध-सक्रिय रडार होमिंग का उपयोग करते हैं, जो निरंतर रडार प्रकाशन पर निर्भर होता है, जिससे कम ऊंचाई पर
उड़ने वाले या स्टील्थ लक्ष्यों द्वारा बचाव संभव हो पाता है। 2011 के अमेरिकी एबटाबाद ऑपरेशन ( ओसामा बिन लादेन )और 2024 में ईरान के मिसाइल
हमलों जैसे ऐतिहासिक घटनाओं ने भी कम ऊंचाई या स्टील्थ घुसपैठ की पहचान में कमियों
को उजागर किया है।
भारत की SEAD क्षमताएं: भारत की
दुश्मन वायु रक्षा दबाने (SEAD) रणनीतियाँ भी
प्रभावी रही होंगी। भारतीय वायु सेना (IAF) के Su-30MKI जेट्स Kh-31P और Rudram-1 एंटी-रेडिएशन मिसाइलों से लैस हैं, जो रडार को निशाना
बनाकर निष्क्रिय करने के लिए डिजाइन की गई हैं। Rudram-1, जिसकी रेंज 100–250 किमी है और जिसमें मेमोरी ट्रैकिंग है, वह रडार विकिरणों को
तब भी लॉक कर सकता है जब रडार बंद हो, जिससे ऑपरेशन के
दौरान पाकिस्तान के रडार नेटवर्क को बाधित किया जा सकता है। यह इस बात का कारण हो
सकता है कि HT-233 या YLC-18A जैसे पाकिस्तान के रडार आने वाले खतरों को प्रभावी ढंग से ट्रैक नहीं कर
पाए।
ऑपरेशनल और तकनीकी कमियां: पाकिस्तान की वायु रक्षा
प्रणालियाँ, जो मुख्य रूप से चीनी मूल की हैं, अक्सर खराबी, अधिक वादे या अपर्याप्त प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा संचालित होने के लिए
आलोचना की गई हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंटरसेप्शन की कमी से रडार एकीकरण, प्रतिक्रिया समय या सिस्टम तत्परता में संभावित समस्याओं का संकेत मिलता
है। उदाहरण के लिए, IBIS-150 और JY-27A रडार ईरान के 2024 के हमलों के दौरान हताहतों को रोकने में विफल रहे, जिससे परिचालन
खामियों का पता चलता है। इसके अतिरिक्त, जटिल रडार
प्रणालियों के रख-रखाव जैसी लॉजिस्टिक चुनौतियों ने पाकिस्तान की क्षमताओं पर दबाव
डाला होगा।
भारत के हमले ;सटीक, गणनात्मक और गैर-प्रवर्धक ; बताए गए, जिन्हें बिना पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किए अंजाम दिया गया। IAF की तेज़ और समन्वित हमले करने की क्षमता ने पाकिस्तान की वायु रक्षा
प्रतिक्रिया को मात दी। पाकिस्तान की सेना ने हमलों का पता तब लगाया जब वे पहले ही
हो चुके थे।
भारत द्वारा उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) क्षमताओं का उपयोग, संभवतः Dassault Falcon 20 जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से, पाकिस्तान के रडार नेटवर्क को जाम या बाधित कर सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के
लिए इसे स्पष्ट रूप से पुष्टि नहीं मिली है, लेकिन क्षेत्रीय
विश्लेषणों के अनुसार भारत की बढ़ती EW क्षमताओं ने
पाकिस्तान की स्थिति जागरूकता को कम किया होगा।
सनद रहे बुनियादी सुविधाओं के लिए धन की कमी झेल रहे पाकिस्तान ने वित्तीय वर्ष 2024–25
के लिए अपने रक्षा बजट में लगभग 15%
की वृद्धि करते हुए इसे 2,122
अरब पाकिस्तानी रुपये (लगभग 7.6
अरब अमेरिकी डॉलर) निर्धारित किया है। यह बजट कुल संघीय बजट का लगभग 11.2% और
देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का
1.7% है
खिसिआए पाकिस्तानी भी कुछ कुतर्कों के साथ अपना बचाव
कर रहे हैं । कुछ X पोस्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने
राजनीतिक या जनमत प्रबंधन के लिए जानबूझकर हमलों की अनुमति दी, और नुकसान कम बताया। हालांकि, यह अटकलें हैं और
पाकिस्तान की आधिकारिक प्रतिक्रिया के विपरीत हैं, जिसने हमलों को युद्ध
की कार्रवाई करार दिया और जवाबी कार्रवाई का वादा किया।
इंटरसेप्शन की कमी और रिपोर्ट किए गए नागरिक हताहतों
(पाकिस्तान ने आठ मौतों का दावा किया) से यह स्पष्ट होता है कि हमला प्रभावी ढंग
से रोका नहीं गया। इसके अलावा, जबकि HQ-9BE जैसे सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों से मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, उनका उन्नत स्टैंडऑफ हथियारों या स्टील्थ क्रूज मिसाइलों के खिलाफ प्रदर्शन
युद्ध में अभी तक परीक्षण के दायरे में नहीं आया है।
इस हमले से साफ है की पाकिस्तान की किसी भी स्तर पर
औकात नहीं है की भारत के साथ युद्ध कर सके ।