आज
में आपके साथ सन 2006 में हिंदी में बाल साहित्य में मेरे द्वारा किए गए
एक प्रयोग को साझा कर रहा हूंा यह था फ्लीप बुक का प्रयोग, हालांकि यह
टीचर्स ट्रेनिंग व बडे लेागों में पहले सफल प्रयोग रहा हैा फ्लीप बुक की
कहानी है गांव के एक ही सीन की जहां पहले तेज धूप है, फिर एक बादल का टुकडा
आता है, फिर आंधी, फिर बारिश, फिर इंद्रधनुष, फिर बारि श का कम होना और एक
बार फिर धूप निकलना, इस पूरी प्रकिया में समाज व प्रक़ति में क्या बदलाव
आते हैं, फ्लीप बुक में सामने वाला हिस्सा बच्चों के
सामने होता है, रंगीन और बगैर किसी शब्दों के, जबकि पीछे वही चित्र
ब्लेक एंड व्हाईट में है और साथ्ा में सरल से कुछ शब्द ा अब बच्चों को
पुस्तक पढाने वाले एक शब्द बोलेगा व बच्चे चित्र के साथ अपना संवाद
करते हैं, यह पुस्तक पहली बार पांच हजार व उसके बाद दो बर इतनी ही छपी, व
छोटे बच्चों व बच्चों के साथ काम करने वालों को बहुत पसंद भी आई , और हां
मेरे शब्दों को संप्रेषणीय बनाने वाले हैं मेरे पसंदीदा चित्रकार पार्थ
सेन गुप्ता Partha Sengupta इसे प्रकाशित किया था रूम टू रीड ने
My writings can be read here मेरे लेख मेरे विचार, Awarded By ABP News As best Blogger Award-2014 एबीपी न्यूज द्वारा हिंदी दिवस पर पर श्रेष्ठ ब्लाॅग के पुरस्कार से सम्मानित
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failed nation, failed army, failed system
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