विज्ञान से विमुख क्यों हो रहे हमारे बच्चे
पंकज चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारHINDUSTAN 3-12-14 http://epaper.livehindustan.com/epaper/03-12-2014-1-edition-Delhi-Page-1.html |
इन दिनों विज्ञान-गल्प के नाम पर विज्ञान के चमत्कारों पर ठीक उसी तरह की कहानियों का प्रचलन भी बढ़ा है, जिनमें अंधविश्वास या अविश्वसनीयता की हद तक के प्रयोग होते हैं। किसी अन्य ग्रह से आए अजीब जीव या एलियन या फिर रोबोट के नाम पर विज्ञान को हास्यास्पद बना दिया जाता है। समय से बहुत आगे या फिर बहुत पीछे जाकर कुछ कल्पनाएं की जाती हैं। यह विडंबना है कि आज बाजार पौराणिक, लोक और परी कथाओं से पटा हुआ है। हमारे देश के लेखक ऐसा विज्ञान-गल्प तैयार करने में असफल रहे हैं, जिसके गर्भ में नव-सृजन के कुछ अंश हों। बच्चों के बीच विज्ञान की पुस्तकों को लोकप्रिय बनाने और उनके ज्ञान के माध्यम से समाज में जागरूकता लाने का यदि ईमानदार प्रयास करना है, तो किताबें तैयार करते समय उनकी भाषा, स्थानीय परिवेश के विज्ञान, वे जो कुछ पढ़ रहे हैं, उसका उनके जीवन में उपयोग कहां व कैसे होगा, पुस्तकों के मुद्रण की गुणवत्ता और उनके वाजिब दाम आदि पर ध्यान देना होगा। हर बच्चा नैसर्गिक रूप से वैज्ञानिक नजरिये वाला होता है। जरूरत है बस उसे अच्छी किताबों व प्रयोगों के जरिये तार्किक बनाने की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें