राष्ट्रीय सहारा २९-४-२०१५ |
आपदा का समय और अफवाहें
पंकज चतुर्वेदीनेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में जब भूकंप से आई तबाही की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही थीं, जब संवेदनशील लोग व सरकारें इस आपदा से पीड़ित लोगों तक त्वरित राहत पहुंचाने के लिए चिंतित थे, कुछ लोग ऐसे भी थे जो एसएमएस, व्हाट्सएप और अन्य संचार माध्यमों से चांद का मुंह टेढ़ा होने, नासा के हवाले से अगले भूकंप का समय बताने जैसी अफवाहें उड़ाकर जनमानस में दहशत पैदा कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब उल्टा चांद निकलने, कयामत की घड़ी पास आने व अगले भूकंप का समय बताने के संदेशों ने लेगों में घबराहट, बैचेनी, फैला दी। इस मामले में खुद नासा को दखल देते हुए बताना पड़ा कि न तो उसकी संस्था ने कोई भविष्यवाणी की है और न वह यह काम करते हैं लेकिन तब तक लंपट किस्म के लोग अपनी हरकतों में कामयाब हो चुके थे। ऐसी स्थिति में दो महीने पहले तक जो लोग नये आईटी एक्ट की धारा 66 ए को समाप्त करने के लिए प्राणपण से जुटे थे, उन्हें पहली बार लगा कि काश कोई कानून होता जो इन अफवाहबाजों पर रोक लगा सकता।
राज एक्सप्रेस, भोपाल 30 अप्रेल 15 |
PRABHAT,MEERUT, 3-5-15 |
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