My writings can be read here मेरे लेख मेरे विचार, Awarded By ABP News As best Blogger Award-2014 एबीपी न्‍यूज द्वारा हिंदी दिवस पर पर श्रेष्‍ठ ब्‍लाॅग के पुरस्‍कार से सम्‍मानित

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

Stop wastage of food

rashtriy sahara 3-7-15
कैसे रुके अन्न की बर्बादी
पंकज चतुव्रेदी
युक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 19.4 करोड़ लोग भूखे सोते हैं। हालांकि सरकार के प्रयासों से पहले से ऐसे लोगों की संख्या कम हुई है। भूख, गरीबी, कुपोषण व उससे उपजने वाली स्वास्य, शिक्षा, मानव संसाधन प्रबंधन की दिक्क्तें देश के विकास में सबसे बड़ी बाधक हैं। हमारे यहां न अन्न की कमी है और न रोजगार के लिए श्रम की। कागजों पर योजनाएं भी हैं। नहीं हैं तो योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार स्थानीय स्तर मशीनरी में जिम्मेदारी व संवेदना की। जिस देश में अनाज भंडारण के लिए गोदामों में जगह न हो, जहां सामाजिक जलसों में परोसा जाने वाला आधे से ज्यादा भोजन कूड़ाघर का पेट भरता हो, वहां कई लोग भोजन के अभाव में दम तोड़ देते हैं। पिछले महीने छत्तीसगढ़ में एक बच्चा भूख से मर गया। बंगाल के बंद हो गए चाय बागानों में मजूदरों के भूख के कारण दम तोड़ने की बात हो या महाराष्ट्र में शिरडी मंदिर के पास मेलघाट में बच्चों की कुपोषण से मौत की खबर या राजस्थान के बारां जिले में सहरिया आदिवासियों की बस्ती में पैदा बच्चों में से अस्सी फीसद का उचित खुराक न मिलने के कारण बचपन में ही दम तोड़ना। इस देश में यह हर रोज हो रहा है लेकिन भ्रष्ट शासन-व्यवस्था और खाये अघाये वर्ग का इससे लेना-देना नहीं।जहां खाद्य और पोषण सुरक्षा की कई योजनाएं अरबों रपए की सब्सिडी पर चल रही हैं, जहां मध्याह्न भोजन योजना के तहत 12 करोड़ बच्चों को दिन का भरपेट भोजन देने का दावा हो, जहां हर हाथ को काम व हर पेट को भोजन के नाम पर हर दिन करोड़ों का सरकारी फंड खर्च होता हो, वहां भूख से मौत दर्शाता है कि योजनाओं व हितग्राहियों के बीच अब भी पर्याप्त दूरी है। भारत में हर साल पांच साल से कम उम्र के दस लाख बच्चों के भूख या कुपोषण से मरने के आंकड़े संयुक्त राष्ट्र ने जारी किए हैं। ऐसे में नवरात्र पर गुजरात के गांधीनगर जिले के एक गांव में माता की पूजा के नाम पर 16 करोड़ रपए दाम के साढ़े पांच लाख किलो शुद्ध घी को सड़क पर बहाने, मध्यप्रदेश में एक राजनीतिक दल के महासम्मेलन के बाद नगर निगम के सात ट्रकों में भर पूड़ी व सब्जी कूड़ेदान में फेंकने की घटनाएं दुभाग्यपूर्ण व शर्मनाक हैं।
Daily News Jaipur 9-7-15
हर दिन लाखों लोगों के भूखे पेट सोने के गैर सरकारी आंकड़ो वाले भारत के ये आंकड़े भी विचारणीय हैं। देश में हर साल उतना गेहूं बर्बाद होता है, जितना आस्ट्रेलिया की कुल पैदावार है। नष्ट गेहूं की कीमत लगभग 50 हजार करोड़ होती है और इससे 30 करोड़ लोगों को सालभर भरपेट खाना दिया जा सकता है। हमारा 2.1 करोड़ टन अनाज केवल इस लिए बेकाम हो जाता है, क्योंकि उसे रखने के लिए उचित भंडारण की सुविधा नहीं है। देश के कुल उत्पादित सब्जी व फल का 40 फीसद प्रशीतक व समय पर मंडी तक न पहुंच पाने के कारण सड़-गल जाता है। औसतन हर भारतीय एक साल में छह से 11 किलो अन्न बर्बाद करता है। जितना अन्न हम एक साल में बर्बाद करते हैं, उसकी कीमत से ही कई सौ कोल्ड स्टोरेज बनाए जा सकते हैं जो फल-सब्जी सड़ने से बचा सके। एक साल में जितना सरकारी खरीद का धान व गेहूं खुले में पड़े होने के कारण मिट्टी हो जाता है, उससे ग्रामीण अंचलों में पांच हजार वेयर हाउस बन सकते हैं। यदि पंचायत स्तर पर ही एक कुंतल अनाज का आकस्मिक भंडारण व जरूरतमंदों को देने की नीति का पालन हो तो कम से भूखा कोई नहीं मरेगा। बुंदेलखंड के पिछड़े जिले महोबा के कुछ लेगों ने ‘‘रोटी बैंक’ बनाया है। बैंक से जुड़े लेग भोजन के समय घरों से ताजी रोटियां एकत्र कर उन्हें अच्छे तरीके से पैक कर भूखों तक पहुंचाते हैं। बगैर सरकारी सहायता के चल रहे इस प्रयास से हर दिन चार सौ लोगों को भोजन मिल रहा है। इच्छाशक्ति हो तो छोटे से प्रयास भी भूख पर भारी पड़ सकते हैं। विकास, विज्ञान, संचार व तकनीक में हर दिन कामयाबी की नई ऊंचाइयां छूने वाले मुल्क में इस तरह बेरोजगारी व खाना न मिलने से होने वाली मौतें मानवता व हमारे ज्ञान के लिए भी कलंक हैं। हर जरूरतमंद को अन्न पहुंचे, इसके लिए सरकार को तो चुस्त-दुरुस्त होना ही होगा, समाज भी संवेदनशील बने। हम इसके लिए पाकिस्तान से कुछ सीख लें जहां शादी व सार्वजनिक समारोह में पकवान व मेहमानों की संख्या तथा खाने की बर्बादी पर सीधे गिरफ्तारी का कानून है। जबकि हमारे यहां शादी-समारोह में आमतौर पर 30 प्रतिशत खाना बेकार जाता है। गांव स्तर पर अन्न बैंक, प्रत्येक गरीब व बेरोजगार के आंकड़े रखना जैसे कार्य में सरकार से ज्यादा समाज को अग्रणी भूमिका निभानी होगी। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

How will the country's 10 crore population reduce?

                                    कैसे   कम होगी देश की दस करोड आबादी ? पंकज चतुर्वेदी   हालांकि   झारखंड की कोई भी सीमा   बांग्...