भारी पड़ सकती है पंजाब की अनदेखी
Raj Express 24-10-15 |
MP Jansandesh 24-10-15 |
पंजाब बुरी तरह सुलग रहा है, कोई दो दशक बाद वहां इतनी बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को उतारना पड़ा है। यही नहीं पंजाब की आग अब पडोसी राज्य हरियाणा तक फैल गई है। 23 अक्तूबर को सिरसा, अंबाला सहित कई जिलों में बंद व जुलूस निकाले गए जिससे जीटी रोड ठप रही । यदि पंजाब पुलिस पर एतबार करें तो मसला और भी गंभीर है क्योंकि इस पूरे उपद्रव के तार दूर देशों से जुड़े हैं। उधर जनता को एतबार नहीं है कि पंजाब पुलिस ने इस कांड में जिन पदो लेागों को पकड़ा है, वे असली अपराधी हैं। कोई पदो सप्ताह पहले पाकिस्तान की सीमा के करीबी फरीदकोट जिले के बरगड़ी गांव में पवित्र ग्रंथ श्री गुरूग्रंथ सहिब के 110 पन्ने कटे-फटे हालात में सड़कों पर मिले। बताया गया कि यह पन्ने जून महीने में बुर्ज जवाहर सिंह गांव के गुरूद्वारे से चोरी किए गए ग्रंथ साहेब के हैं। जरा याद करें यह बात उसी जून की है जब पंजाब में खलिस्तान समर्थकों ने खूब सिर उठाया था, ब्लू स्टार की बरसी के नाम पर जगह-जगह जलसे हुए थे। सटे हुए जम्मू में तो कई दिन कर्फ्यु लगाना पड़ा था क्योंकि वहां पुलिस से भिडंत में कई मौत हुई थीं। जून महीने के आसपास ही मनिंदरजीत सिंह बिट्टा की हत्या के लिए बम फोड़कर नौ लोगों की हत्या के अपराधी देवेन्द्रपाल सिंह भुल्ल्र को दिल्ली की तिहाड़ जेल से तबादला करवा कर अमृतसर बुलाया गया और वहां एक अस्पताल में एसी कमरे में रखा गया।
पिछले दस दिनों से पंजाब के अमृतसर, तरनतारन, लुधियाना जैसे संवेदनषील 12 जिलों में सड़क जाम, हिंसा, बाजार बंद चल रहा है। गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में पदो भाई रूपिंदर सिंह व जसविंदर सिंह को पकड़ा गया। जनता द्वारा पिटाई के कारण रूपिंदर को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। उसी दौरान उसके पास आस्ट्रेलिया, दुबई, अमेरिका से कुछ संदिग्ध फोन आए। अब पुलिस का दावा है कि इस अशांति के पीछे बहुत बड़ी साजिश हे। चूंकि पंजाब में बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश आ रहा है, सो कुछ लोग साजिश रच कर इसमें बाधा पहुंचा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि इस हिंसा के लिए पांच जिलों में कुछ लोगों को विदेश से लाखों रूपए मिले हैं । खैर इस कांड से राज्य की दुनिया में बदनामी तो हुई ही, कबड्डी का विश्व कप का आयोजन निरस्त करना पड़ा।
यदि सिंख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की मानें तो राज्य में हालात बिगड़ने का मुख्य कारण पुलिस की लापरवाही और मामले को सही तरीके से डील नहीं करना है। एसजीपीसी के प्रधान अवतार सिंह मक्कड़ कहते हैं कि यह पंजाब पुलिस व खुफिया तंत्र के निकम्मेपन का परिणाम है कि यह आग गांव-गांव तक पहुंच गई। प्रशासन मामले की गंभीरता को समझ ही नहीं प्या और लेागों की भावनाओं को समझने की जगह उसने बल प्रयोग किया। सिख पंथ का एक धड़ा ऐसा भी है जो कि गुरू ग्रंथ साहिब को नुकसान पहुंचाने के लिए डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम के अनुयायिोंा को देाशी मानता है। सनद रहे डेरे का प्रभाव पंजाब के मालवे व मंड में काफी है और पिछले दिनों अकाल तख्त ने राम हरीम को दी गई एक माफी को वापिस ले लिया था व उन्हे तन्खैया बताया था। पिछले साल गुरमीत राम रहीम ने गुरू गोबिद सिंह जी की तरह भेष रख कर प्रवचन दिए थे और अकाल तख्त ने इसे गुरू महाराज के प्रति असम्मान कहा था। राम रहीम ने अकाल तख्त के सामने पेष हो कर माफी मांगी थी और उन्हें तख्त ने पहले माफ कर दिया था, लेकिन दस दिन पहले माफी को निरस्त कर दिया था। तख्त दमदमा साहेब के पूर्व जत्थेदार बलवंत सिंह नंदगढ़ का अरोप है कि गुरू ग्रंथ साहिब को नुकसान पुहंचा कर पंजाब में अशांति पहुंचाने का खेल डेरे का है।
इस पूरे तमाशे के पीछे एक सुगबुगाहट यह भी है कि बीते एक महीने से पंजाब में चल रहा किसान आंदेालन सरकार के लिए आफत बनता जा रहा था। किसान पांच दिन रेल की पटरी पर बैठे रहे व राज्य में एक भी ट्रैन नहीं चली। किसान झुकने को तैयार नहीं थे, सो एक साजिश के तहत धार्मिक मसला खड़ा कर दिया गया जिससे किसान आंदोलन की हवा निकल जाए।
यह किसी से छिपा नहीं है कि राज्य सरकार काफी कुछ पंथिक एजेंडे की ओर मुड़ रही है और इसमें वे लेाग सहानुभति पा रहे है। जो पृथकतावादी या हिंसा में सजायाफ्ता हैं। राज्य सरकार में साझा भाजपा को इस तरह के लेागोें के प्रति नरम रूख रास नहीं आ रहा है और अपनी डोलती सरकार को साधने के लिए राज्य में यदा‘कदा धर्म के नाम पर लेागों को उकसाया जाता है।
बेहतर आर्थिक स्थिति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ने वाले पंजाब राज्य में आतंकवादियों पर नरम रवैया तथा अफवाहों का बाजार भी उतना ही तेजी से विकसित हो रहा है, जितनी वहां की समृद्धता । ऐसी सच्ची-झूठी खबरें लोगों के बीच भ्रम, डर व आशंकाएं पैदा कर रही हैं, आम जन-जीवन को प्रभावित कर रही हैं और कई बार भगदड़ के हालात निर्मित कर रही हैं । विडंबना है कि बेसिर पैर की इन लफ्फाजियों के पीछे असली मकसद को पता करने में सरकार व समाज दोनो ही असफल रहे हैं । यह जीवट, लगन और कर्मठता पंजाब की ही हो सकती है, जहां के लोगों ने खून-खराबे के दौर से बाहर निकल कर राज्य के विकास के मार्ग को चुना व उसे ताकतवर बनाया । बीते एक दशक के दौरान पंजाब के गांवों-गांवों तक विकास की धारा बही है । संचार तकनीक के सभी अत्याधुनिक साधन वहां जन-जन तक पहुंचे हैं, पिछले कुछ सालों में यही माध्यम वहां के अफवाहों का वाहक बना है ।
फेसबुक या गूगल पर खोज करें तो खालिस्तान, बब्बर खालसा, भिंडरावाले जैसे नामों पर कई सौ पेज वबेसाईट उपलब्ध हैं। इनमें से अधिकांष विदेषों से संचालित है। व कई एक पर टिप्पणी करने व समर्थन करने वाले पाकिस्तान के हैं। यह बात चुनावी मुद्दा बन कर कुछ हलकी कर दी गई थी कि पंजाब में बड़ी मात्रा में मादक दवाओं की तस्करी की जा रही है व युवा पीढ़ी को बड़ी चालाकी से नषे के संजाल में फंसाया जा रहा है। सारी दुनिया में आतंकवाद अफीम व ऐसे ही नषीले पदार्थों की अर्थ व्यवस्था पर सवार हो कर परवान चढा हे। पंजाब में बीते दो सालें में कई सौ करोड़ की हेरोईन जब्त की गई है व उसमें से अधिकांष की आवक पाकिस्तान से ही हुई। स्थानीय प्रषासन ने इसे षायद महज तस्करी का मामला मान कर कुछ गिरफ्तारियों के साथ अपनी जांच की इतिश्री समझ ली, हकीकत में ये सभी मामले राज्य की िफजा को खराब करने का प्रयास रहे हैं।
जरा कुछ महीनों पीछे ही जाएं, सितंबर- 2014 में बब्बर खालसा का सन 2013 तक अध्यक्ष रहा व बीते कई दषकों से पाकिस्तान में अपना घर बनाएं रतनदीप सिंह की गिरफ्तारी पंजाब पुलिस ने की। उसके बाद जनवंबर- 14 में ही दिल्ली हवाई अड्डे से खलिस्तान लिबरेषन फोर्स के प्रमुख हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटू को एक साथी के साथ गिरफ्तार किया गया। ये लेाग थाईलैंड से आ रहे थे। पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में सजायाफ्ता व सन 2004 में अतिसुरक्षित कहे जाने वाली चंडीगढ की बुढैल जेल से सुरंग बना कर फरार हुए जगतार सिंह तारा को जनवरी-2015 में थाईलैंड से पकड़ा गया। एक साथ विदेषों में रह कर खालिस्तानी आंदोलन को जिंदा रखने वाले षीर्श आतंकवादियों के भारत आने व गिरफ्तार होने पर भले ही सुरक्षा एजेंसिंयां अपनी पीठ ठोक रही हों, हकीकत तो यह है कि यह उन लोगों का भारत में आ कर अपने नेटवर्क विस्तार देने की येाजना का अंग था। भारत में जेल अपराधियों के लिए सुरक्षित अरामगाह व साजिषों के लिए निरापद स्थल रही है। रही बची कसर जनवरी-15 में ही राज्य के मुख्मंत्री प्रकाष सिंह बादल ने 13 कुख्यात सजा पाए आतंकवादियों को समय से पहले रिहा करने की मांग कर दी थी जिसमें जगतार सिंह तारा भी एक था। कुल मिला कर देखे तो जहां एक तरफ राज्य सरकार पंथक एजेंडे की ओर लौटती दिख रही है तो इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी की जड़ तक जाने के प्रयास नहीं हो रहे हैं।
यह कैसी विडंबना है कि पंजाब के अखबारों में शहीदी समागम के नाम पर करोड़ांे के विज्ञापन दिए जाते हैं और सरकार इस पर मौन रहती है। जरा विचार करें कि यदि कष्मीर में मकबूल भट्ट या अषफाक गुरू के लिए ऐसे ही विज्ञापन अखबारों में छपे तो क्या सरकार, समाज व मीडिया इतना ही मौन रहेगा? इस बार सबसे बड़ी चिंता का विशय यह है कि सिख अतिवादियों कें महिमामंडन का काम पंजाब से बाहर निकल कर जम्मू से शुरू हुआ व वहां भिंडरावाले समर्थकों ने तीन दिन तक सुरक्षा बलों का खूब दौड़ाया। जब वहां सेना तैनात की गई तो मामला शांत हुआ। आतंकवाद , अलगाववाद या ऐसी ही भड़काउ गतिविधियों के लिए आ रहे पैसे, प्रचार सामग्री और उत्तेजित करने वाली हरकतों पर निगाह रखने में हमारी खुफिया एजेंसियां या तो लापरवाह रही हैं या षासन ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। फिर ऐसे में दो दशक पहले तक संवेदनशील रहे सीमावर्ती राज्य की सरकार में बैठे लोगों का इस मामले में आंखें मूंदे रखना कहीं कोई गंभीर परिणाम भी दे सकता है ।
पंकज चतुर्वेदी
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