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बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

Not law but strong Social change is require for women saftey

    दरिंदगी पर क्यों नहीं लग पा रही लगाम

 

 

                                     


हाल के ही दिनों में दिल्ली कई-कई बार शर्मसार हुई. अगस्त में ओखला में सात साल की बच्ची के साथ शारीरिक शोषण कर उसके नाजुक अंगों को चाकू से गोद दिया गया. सितंबर में द्वारका में पांच साल की बच्ची के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. 11 अक्तूबर को केशवपुरम में एक झुग्गी बस्ती की बच्ची के साथ कुकर्म कर उसे रेल की पटरियों पर मरने को छोड. दिया गया. यह तो बस फौरी घटनाएं हैं और वह भी महज दिल्ली की. दामिनी कांड में सजा होने के बाद व उससे पहले भी ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाएं होती रहीं, उनमें से अधिकांश में पुलिस की लापरवाही चलती रही, वरिष्ठ नेता बलात्कारियों को बचाने वाले बयान देते रहे. दिल्ली में दामिनी की घटना के बाद हुए देशभर के धरना-प्रदर्शनों में शायद करोड.ों मोमबत्तियां जल कर धुआं हो गई हों, संसद ने नाबालिग बच्चियों के साथ छेड.छाड. पर कड.ा कानून भी पास कर दिया हो, निर्भया के नाम पर योजनाएं भी हैं लेकिन समाज के बडे. वर्ग पर, दिलो-दिमाग पर औरत के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर जमी भ्रांतियों की कालिख दूर नहीं हो पा रही है.
ऐसा नहीं है कि समय-समय पर बलात्कार या शोषण के मामले चर्चा में नहीं आते हैं और समाजसेवी संस्थाएं इस पर काम नहीं करती हैं. फिर भी ऐसा कुछ तो है ही जिसके चलते लोग इन आंदोलनों, विमशरें, तात्कालिक सरकारी सक्रिताओं को भुला कर गुनाह करने में हिचकिचाते नहीं हैं. आंकडे. गवाह हैं कि आजादी के बाद से बलात्कार के दर्ज मामलों में से छह फीसदी में भी सजा नहीं हुई. जो मामले दर्ज नहीं हुए वे न जाने कितने होंगे. 
जब तक बलात्कार को केवल औरतों की समस्या समझ कर उस पर विचार किया जाएगा, जब तक औरत को समाज की समूची इकाई न मान कर उसके विर्मश पर नीतियां बनाई जाएंगी; परिणाम अधूरे ही रहेंगे. फिर जब तक सार्वजनिक रूप से मां-बहन की गाली बकने को धूम्रपान की ही तरह प्रतिबंधित करने जैसे आधारभूत कदम नहीं उठाए जाते, अपने अहं की तुष्टि के लिए औरत के शरीर का विर्मश सहज मानने की मानवीय वृत्ति पर अंकुश नहीं लगाया जा सकेगा. एक तरफ से कानून और दूसरी ओर से समाज के नजरिए में बदलाव की कोशिश एकसाथ किए बगैर बलात्कार के घटनाओं को रोका नहीं जा सकेगा.
लोकमतसमाचारमहाराष्‍ट् 22 अक्‍तूबर 15
बी ते शुक्रवार को दिल्ली में दो बच्चियों के साथ कुकर्म हुआ- ढाई साल व चार साल की बच्चियां. अभी पिछले सप्ताह ही चार साल की बच्ची के साथ दरिंदों ने न केवल मुंह काला किया था बल्कि उसे कई जगह ब्लेड मार कर घायल कर दिया था. दिल्ली से सटे नोएडा के छिजारसी गांव में उसी शुक्रवार की रात 12वीं में पढ.ने वाली एक बच्ची ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसे गांव के कुछ शोहदे लगातार छेड. रहे थे और उनके परिवार द्वारा पुलिस में कई बार गुहार लगाने के बावजूद लफंगों के हौसले बुलंद ही रहे. चार साल पहले दिल्ली व देश के कई हिस्सों में 'दामिनी' के लिए खड.ा हुआ आंदोलन, आक्रोश, नफरत सभी कुछ विस्मृत हो चुका है.

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