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बुधवार, 23 दिसंबर 2015

Ewaste- A big ecology problem

कथित विकास से उपजा कचरा

                                                              पंकज चतुर्वेदी
alokmat 23-12-15
इ न दिनों देश में वायु प्रदूषण को लेकर बेहद चर्चा हो रही है, लेकिन जमीन से लेकर आसमान तक जहर घोलने वाले ऐसे कचरे पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिसके दूरगामी असर लाइलाज हैं. कहते हैं न कि हर सुविधा या विकास की माकूल कीमत चुकानी ही होती है, लेकिन इस बात का नहीं पता था कि इतनी बड.ी कीमत चुकानी होगी. यह स्वीकारना होगा कि हादसों के मामले में हमारी याददाश्त कुछ ज्यादा ही कमजोर है. जब कुछ अनहोनी होती है तो चिंता, बचाव, सरोकार, राजनीति सबकुछ सक्रिय रहता है, लेकिन अगला कोई हादसा होने पर हम पहले को भूल जाते हैं व नए पर विर्मश करने लगते हैं. ऐसे में 15 साल पुरानी वह घटना किसे याद रहेगी, जब दिल्ली स्थित एशिया के सबसे बडे. कबाड.ी बाजार मायापुरी में कोबाल्ट का विकिरण फैल गया था, जिसमें एक मौत हुई व अन्य पांच जीवनभर के लिए बीमार हो गए थे. दिल्ली विश्‍वविद्यालय के रसायन विभाग ने एक बेकार पडे. उपकरण को कबाड. में बेच दिया व कबाड.ी ने उससे धातु निकालने के लिए उसे जलाना चाहा था. उन दिनों वह हादसा उच्च न्यायालय तक गया था. आज तो देश के हर छोटे-बडे. शहर में हर दिन ऐसे हजारों उपकरण तोडे.-जलाए जा रहे हैं जिनसे निकलने वाले अपशिष्ट का मानव जीवन तथा प्रकृति पर दुष्प्रभाव विकिरण से कई गुना ज्यादा है. हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि हमारे मुल्क में आज मोबाइल फोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर की संख्या कुल आबादी से कहीं ज्यादा हो गई है. यदि इसमें रंगीन टीवी, माइक्रोवेव ओवन, मेडिकल उपकरण, फैक्स मशीन, टेबलेट, सीडी, एयर कंडीशनर आदि को भी जोड. लें तो संख्या दो अरब से पार होगी. यह भी तथ्य है कि हर दिन ऐसे उपकरणों में से कई हजार खराब होते हैं या पुराने होने के कारण कबाड. में डाल दिए जाते हैं. ऐसे सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का मूल आधार ऐसे रसायन होते हैं जो जल, जमीन, वायु, इंसान और समूचे पर्यावरण को इस हद तक नुकसान पहुंचाते हैं कि उससे उबरना लगभग नामुमकिन है. यही ई-कचरा कहलाता है और अब यह वैश्‍विक समस्या बन गया है. दिक्कत अकेले हमारे देश की नहीं है, विकसित देशों में तो यह कूड.ा बड.ी समस्या बन गया है और वे तीसरी दुनिया तथा दक्षिण एशिया के कुछ देशों में चोरी-चुपके ऐसे कूडे. को भेज रहे हैं.
इस कचरे से होने वाले नुकसान का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि इसमें 38 अलग प्रकार के रासायनिक तत्व शामिल होते हैं जिनसे काफी नुकसान भी हो सकता है.

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