राष्ट्रीय सहारा ]८ जून 15 |
पूर्वोत्तर में आतंक की अनदेखी का अंजाम
पंकज चतुर्वेदी
चार जून को मणिपुर में सेना पर हुए हमले से पहले दो अप्रैल और छह फरवरी को अरुणाचल में सेना पर हमले हो चुके है। इन सभी हमलों का शक नगालैंड के पृथकतावादी संगठन नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालैंड के खपलांग गुट पर है। मुल्क में जब कभी आतंकवाद से निबटने का मुद्दा सामने आता है तो क्या आम लोग और क्या नेता और अफसरान , सभी कश्मीर पर आंसू बहाने लगते हैं। लंबे समय से यह बात नजरअंदाज की जाती रही है कि हमारे ‘‘सेवन सिस्टर्स’ राज्यों में अलगाववाद और आतंकवाद कश्मीर से कहीं ज्यादा है और उससे सटी सीमा के देशों- चीन, म्यांमार, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश ही नहीं थाईलैंड, जापान तक इन संगठनों के आका बैठकर अपनी समानांतर हुकूमत चला रहे हैं। अभी मणिपुर की सरकार म्यांमार से सहयोग मांग रही है। उत्तर-पूर्वी राज्यों मणिपुर, असम, नगालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में कोई पच्चीस उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। यहां बीते बारह सालों के दौरान कोई बीस हजार लोग मारे गए जिनमें चालीस फीसद सुरक्षाकर्मी हैं। जब किसी राज्य में कुछ महीने शांति रहती है तो माना जाता है कि सरकार ने उग्रवादी संगठनों को मनमाने तरीके से उगाही की छूट दे दी है। हालांकि पूर्वोत्तर में उग्रवाद का संबंध चीन के कम्यूनिस्ट आंदोलन से जोड़ा जाता है, लेकिन यह भी गौरतलब है कि पूरे क्षेत्र में कभी र्चच या मिशिनरी के किसी भी दल, संपत्ति या गतिविधि पर उग्रवादी मार नहीं पड़ी।असम में उल्फा, एनडीबीएफ, केएलएनएलएफ और यूपीएसडी के लड़ाकों का बोलबाला है। अकेले उल्फा के पास अभी भी 1600 लड़ाके हैं जिनके पास 200 एके राइफलें, 20 आरपीजी और 400 दीगर किस्म के असलहा हैं। राजन दायमेरी के नेतृत्व वाले एनडीबीएफ के आतंकवादियों की संख्या 600 है जो 50 एके तथा 100 अन्य किस्म की राइफलों से लैस हैं। बीते साल असम में बड़े नरसंहार करने वाले एनडीबीएफ के सांगबीजित गुट का मुखिया आईके संगबीजित म्यांमार में रह कर अपने व्यापार करता है। आश्र्चयजनक है कि बोडो के नाम पर खूनखराबा करने वाला यह अपराधी खुद बोडो नहीं है। नगालैंड में पिछले एक दशक के दौरान अलग देश की मांग के नाम पर डेढ़ हजार लोग मारे जा चुके हैं। वहां एनएससीएन के दो घटक- आईएम और खपलांग- बाकायदा सरकार के साथ युद्धविराम की घोषणा कर जनता से चौथ वसूलते हैं। इनके आका विदेश में रहकर भारत सरकार से संपर्क में रहते हैं और इनके गुगरे को अत्याधुनिक प्रतिबंधित हथियार लेकर सरेआम घूमने की छूट होती है। यहां तक कि राज्य की सरकार का बनना और गिरना भी इन्हीं उग्रवादियों के हाथों में होता है। यह बात हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में सामने आ चुकी है। कांग्रेस बहुत प्रचार कर रही थी कि आईएम गुट के साथ जल्दी ही शांति समझौता हो जाएगा, लेकिन सत्ताधारी नगा
RAJ EXPRESS BHOPAL 9-6-15 |
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