एड्स को मारना बाकी है
राष्ट्रीय सहारा१-१२-१५ |
पंकज चतुव्रेदी
राजू सखाराम पटोले अपनी बस्ती में दया, सहयोग और सद्व्यवहार के लिए मशहूर था। बरबस कोई यकीन नहीं कर रहा था कि उसने अपनी बीवी और चार मासूम बच्चों की सिलबट्टे से हत्या कर दी। वह खुद भी नहीं जीना चाहता था, लेकिन उसे बचा लिया गया, तिल-तिल मरने के लिए। समाजसेवी के रूप में चर्चित राजू के इस पाशविक स्वरूप का कारण एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में अधकचरा ज्ञान समाज में कई विकृतियां खड़ी कर रहा है। राजू को 1995 में डाक्टरों ने बताया था कि उसे एड्स है। इसके बाद अस्पतालों में उसके साथ अछूतों सरीखा व्यवहार होने लगा। वह जान गया था कि उसकी मौत होने वाली है। उसके बाद उसके मासूम बच्चों और पत्नी का भी जीना दुश्वार हो जाएगा। फिलहाल, राजू जेल में है, और पुलिस ने उसे ‘‘कड़ी सजा’ दिलवाने के कागज तैयार कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान ली है। यह ऐसा पहला मामला नहीं है, जब एड्स
Peoples samachar MP 1-12-15 |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें