My writings can be read here मेरे लेख मेरे विचार, Awarded By ABP News As best Blogger Award-2014 एबीपी न्‍यूज द्वारा हिंदी दिवस पर पर श्रेष्‍ठ ब्‍लाॅग के पुरस्‍कार से सम्‍मानित

रविवार, 25 फ़रवरी 2018

Indian memories in Cairo, Ejypy


कायरो में भारतीय निशानियाँ
पंकज चतुर्वेदी

इजिप्ट  यानि मिस्र की राजधानी काहिरा या कायरो अरब - दुनिया का सबसे बड़ा शहर है, नब्बे लाख से अधिक आबादी का, यहाँ इसाईओं की बड़ी आबादी है, कोई बारह फीसदी, लेकिन हिन्दू-सिख-जैन-बौध अर्थात भारतीय मूल के धर्म अनुयायी दीखते नहीं हैं, या तो नौकरी करने वाले या फिर अस्थायी रूप से लिखने-पढने आये लोग हेई गैर मुस्लिम-ईसाई मिलते हैं , ऐसा नहीं कि वहां हिन्दू धर्म के बारे में अनभिज्ञता है. वहां हिंदी फ़िल्में बेहद लोकप्रिय हैं और हर दूसरा आदमी यह जानने को जिज्ञासु रहता है कि हिन्दू महिलाएं बिंदी या मांग क्यों भरती हैं, भारत का भोजन या संस्कार क्या-क्या हैं . एक युवा ऐसा भी मिलने आया कि उसके परबाबा सिखा थे और काम के सिलसिले में मिस्र आये थे , यहाँ उन्होंने इस्लाम ग्रहण कर लिया . एक युवा ऐसा भी मिला जिसका नाम नेहरु अहमद गांधी है, इसके बाबा का नाम गांधी है और बाबा ने ही भारत के प्रति दीवानगी के चलते अपने पोते का नाम नेहरु रखा.  इजिप्त की राजधानी कायरो के नए बने उपनगर हेलियोपोलिस में एक हिन्दू मंदिर की संरचना और ग्यारवीं सदी के पुराने सलाउद्दीन के किले यानि सीटा ड़ेल में गुरु नानकदेव के प्रवचन देने और ठहरने की कहानियाँ यहाँ भारतीय धर्म- आध्यात्म के चिन्हों को ज़िंदा रखे हैं .
सीटादेल

सीटादेल का किला 

इस स्थान पर गुरु महाराज ठहरे थे 



हेलियोपोलिस में मुख्य मार्ग, जिसे वहां रिंग रोड भी कहते हैं ; पर एक विशाल संरचना हिन्दू मंदिर जैसा भवन दिखता है , असल में यह मंदिर नहीं है,यह एक बड़े ठेकेदार और व्यापारी द्वारा बनवाया गया उसका आवास था, इसे ले कर काहिरा में कई अफवाहें हैं,- इसे लोग भुतहा महल मानते हैं, इसमें बुरी आत्माओं का वास, असगुन आदि कहा जाता है और आज इसमें कोई जाता नहीं हैं , हालांकि इन दिनों मिस्र की सरकार इसकी मरम्मत करवा रही हैं .
इस स्थान को "बेरोंन इम्पेन पेलेस या ला पलासिया हिन्दुओ " कहते हैं एडवर्ड लुईस जोजेफ एम्पेन ( १८५२-१९२९ एक स्कूल मास्टर का सौतेला बेटा था , वह अपनी काबिलियत के बल पर यूरोप का सबसे बड़ा निर्माण ठेकेदार बना, उसने बेल्जियम और फ़्रांस में रेलवे लायीं बिछायी और पेरिस मेट्रो का डिजाईन भी उन्ही का था . 

१९०५ के आसपास वह काहिरा में रेलवे लायीं के ठेके के लिए आया, ठेका उसके हाथ लगा नहीं, फिर उसने पुराने काहिरा से कोई दस किलोमीटर दूर रेगिस्तान में एक अत्याधुनिक शहर "हेलियोपोलिस " का निर्माण शुरू किया, इसमें बिजली, पानी कि सप्लाई, सीवर, पार्क आदि थे , तभी सने अपने निवास के लिए फ्रांस के मशहूर आर्किटेक अलेक्जेंडर मार्कल को काम सौंपा, सन १९०७ से १९११ के बीच इसे एक हिन्दू मंदिर की तरह निर्मित किया गया, इसमें कृष्ण, शिव, सर्प, गज , गरुड़ आदि की प्रतिमायें  गढ़ी गयी, कलाकार इंडोनेशिया से बुलाये गए थे . लाल पत्थर से निरिमित  यह तीन मंजिला शानदार इमारत कई साल तक लुईस जोजेफ एम्पेन और उनके बेटे का घर रही, प्रथम विश्व युध्ध से पहले बेल्जियम के किंक एडवर्ड और रानी भी यहाँ आ कर रुके थे , सन १९५७ में सऊदी अरबिया के निवासी एलेक्स्जेक और रेडा ने इसे ख़रीदा लेकिन तब से यह बियावान हैं .

आज इसमें चमगादड़ , आवारा कुत्ते ही रह गए हैं हालांकि इसके सौ साल होने पर मिस्र के संस्कृति मंत्रालय ने एक आयोजन भी किया था . अभी  इसकी मरम्मत का कार्य शुरू हुआ है, कहा जा रहा है कि यहाँ सरकार एक संग्रहालय शुरू कर सकती हैं , बहरहाल , इसे मंदिर मत मानना लेकिन इसमें मंदिर दिखेगा जरुर. काश भारत सरकार इस स्थान को ले कर यहाँ भारतीय आध्यात्म, धर्म का संग्रहालय बना ले, क्योंकि कायरो में सारी  दुनिया के पर्यटक आते हैं और जाहिर है कि यह स्थान उन्हें भारत की और प्रेरित करेगा .




गुरु नानक देव भी काहिरा , मिस्र आये थे लेकिन आज उनकी स्मृति के कोई निशाँ नहीं हैं, सन 1519 में कर्बला, अजारा होते हुए नानक जी और भाई मर्दाना कैकई नामक आधुनिक शहर में रुके थे, यह मिस्र का आज का काहिरा या कायरो ही है, उस समय यहाँ का राजा सुल्तान माहिरी करू था, जो खुद गुरु जी से मिलने आया था और उन्हें अपने महल में ठहराया था, पहले विश्व युध्ध में सूडान लड़ने गयी भारतीय फौज कि सिख रेजिमेंट के २० सैनिक उस स्थान पर गए भी थे जहां गुरु महाराज ठहरे थेकहते हैं कि यह स्थान आज के मशहूर पर्यटन स्थल सीटादेल के करीब मुहम्मद अली मस्जिद के पास कहीं राज महल में है, इस महल को सुरक्षा की द्रष्टि से आम लोगों के लिए बंद किया हुआ है, इसमें एक चबूतरा है जिसे – अल-वली-नानक कहते हैं, यहीं पर गुरु नानक ने अरबी में कीर्तन और प्रवचन किया था .  सीटाडेल में इस समय किले के बड़े हिस्से को बंद किया हुआ है. यहाँ पुलिस और फौज के दफ्तर हैं किले के बड़े हिस्से को सेना, पुलिस और जेल के म्यूजियम में बदल दिया गया है. भारत, सिख मत और गुरु नानक देव की स्मृतियों के लिहाज से यह बेहद महत्वपूर्ण स्थान अहि और भारत सरकार को इस स्थान पर गुरु नानक देव के स्थल पर विशेष प्रदर्शनी के लिए इजिप्ट सरकार से बात करनी ही होगी, जब इजिप्ट सरकार को महसूस होगा कि इससे सिख पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तो निश्चित ही वह इसके लिए तैयार होगी, क्योंकि इजिप्ट की अर्थ व्यवस्था का आधार पर्यटन ही हैं . काश भारत सरकार इजिप्त सरकार से बात कर इसे सिखों के पवित्र स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए कार्यवाही करें . 
हालाँकि कायोर के मौलाना आजाद भारतीय सांस्क्रतिक केंद्र में हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम और एनी गतिविधियों के जरिये बहुत से लोग भारत से जुड़े हैं, अल अज़हर यूनिवर्सिटी में भी भारत के सैंकड़ों छात्र हैं , लेकिन अभी यहाँ भारतीयता के लिए कुछ और किया जाना अनिवार्य है, वर्ना मिस्र की नयी पीढ़ी भारत को महज फिल्मों या टीवी सीरियल के माध्यम से अपभ्रंश के रूप में ही पहचानेगी .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

How will the country's 10 crore population reduce?

                                    कैसे   कम होगी देश की दस करोड आबादी ? पंकज चतुर्वेदी   हालांकि   झारखंड की कोई भी सीमा   बांग्...