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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

uncontrolled internet is also responsible for minor rape

बच्चियों पर बढ़ती यौन हिंसा का दोषी निरंकुश इंटरनेट भी 

पंकज चतुर्वेदी


देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी चिंतित हैं नेट पर परोसे जा रहे नंगे बाजार से। हर तारीख पर सरकार का रवैया इस बात पर ढुल-मुल रहता है कि नंगी सामग्री परोसने वाली वेबसाईट पर पाबंदी के लिए क्या किया जाए। सनद रहे चीन सहित कई देशों में पोर्न को इंटरनेट पर देखा नहीं जा सकता, क्योंकि उनका अपना सर्च इंजन है। चूंकि यह विश्वव्यापी है और जाहिर है कि इस पर काबू पाना इतना सरल नहीं होगा, लेकिन असंभव नहीं है। । असल में हमारी मंशा ही नहीं है कि सस्ते इंटरनेट व कम कीमत के स्मार्ट फोन के घर-घर पहुंचने के बाद इसके दुरूपयोग को रोकें। बानगी है कि वे अखबार जो पहले पन्ने पर बच्चियों से बलात्कार के विरोध में क्रांति की अपील करते हैं लेकिन उनके भीतर के पन्नों पर यौन शक्ति बए़ाने से ले कर एस्कार्ट, नाईट सर्विस, मसाज होम सर्विस जैसे विज्ञापन छपते हैं और सभी जानते हैं कि इनका असली मकसद क्या होता है। दुर्भाग्य है कि हमारे देश के संवाद और संचार के सभी लोकप्रिय माध्यम देह-विमर्श में लिप्त हैं, सब कुछ खुला-खेल फर्रूकाबादी हो रहा है।  अखबार, मोबाईल फोन, विज्ञापन; सभी जगह तो नारी-देह बिक रही है।
अश्लीलता,या कंुठा और निर्लज्जता का यह खुला खेल आज संचार के ऐसेे माध्यम पर चल रहा है, जो कि हमारे देश का सबसे तेजी से बढ़ता उद्योग है । जो संचार माध्यम असल में लोगों को जागरूक बनाने या फिर संवाद का अवसर देने के लिए हैं, वे अब धीरे-धीरे देह-मंडी बनते जा रहे हैं । व्हाट्सएप जैसे कई संवाद- शस्त्र यैन जुजुग्सा को हर हाथ में बैखौफ पहुंचा रहे हैं। क्या इंटरनेट ,क्या फोन,  और क्या अखबार ? टीवी चैनल तो यौन कंुठाआंे का अड्डा बन चुके हैं ।

आज आम परिवार में महसूस किया जाने लगा है कि ‘‘ नान वेज ’’ कहलाने वाले मल्टीमीडिया लतीफे अब उम्र-रिश्तों की दीवारें तोड़ कर घर के भीतर तक घुस रहे हैं । यह भी स्पश्ट हो रहा है कि संचार की इस नई तकनीक ने महिला के समाज में सम्मान को घुन लगा दी है । टेलीफोन जैसे माध्यम का इतना विकृत उपयोग भारत जैसे विकासशील देश की समृद्ध संस्कृति,सभ्यता और समाज के लिए षर्मनाक है । इससे एक कदम आगे एमएमएस का कारोबार है । आज मोबाईल फोनों में कई-कई घंटे की रिकार्डिग की सुविधा उपलब्ध है । इन फाईलों को एमएमएस के माध्यम से देशभर में भेजने पर न तो कोई रोक है और न ही किसी का डर । तभी डीपीएस, अक्षरधाम, मल्लिका, मिस जम्मू कुछ ऐसे एमएमएस है, जोकि देश के हर कोने तक पहुंच चुके हैं । अपने मित्रों के अंतरंग क्षणों को धोखे से मोबाईल कैमरे में कैद कर उसका एमएमएस हर जान-अंजान व्यक्ति तक पहुंचाना अब आम बात हो गई है । खासतौर पर 12 से 14 साल के किशोर जब इस तरह के वीडियो देखते हैं, जब आर्थिक-सामाजिक तौर पर पिछड़े ऐसे वीडियों को देखते हैं तो उनका विपरीत देह के प्रति कुत्सित आकर्षण बढ़ता है और कई बार उनकी कुंठा अपराध में बदल जाती है। बच्चे मोबाईल पर अश्लील दुनिया में खो कर खेल के मैदान, दोस्ती, परिवार तक से परे हो रहे हैं व उनकी राह अनैतिकता की ओर मुड़ जाती है।

आज मोबाईल हैंड सेट में इंटरनेट कनेक्शन आम बात हो गई है । और इसी राह पर इंटरनेट की दुनिया भी अधोपतन की ओर है। नेट के सर्च इंजन पर न्यूड या पेार्न टाईप कर इंटर करें कि हजारों-हजार नंगी औरतों के चित्र सामने होंगे । अलग-अलग रंगों, देश, नस्ल,उम्र व षारीरिक आकार के कैटेलाग में विभाजित ये वेबसाईटें गली-मुहल्लों में धड़ल्ले से बिक रहे इंटरनेट कनेक्शन वाले मोबाईल फोन खूब खरीददार जुटा रहे हैं । साईबर पर मरती संवेदनाओं की पराकाश्ठा ही है कि राजधानी दिल्ली के एक प्रतिश्ठित स्कूल के बच्चे ने अपनी सहपाठी छात्रा का चित्र, टेलीफोन नंबर और अश्लील चित्र एक वेबसाईट पर डाल दिए । लड़की जब गंदे टेलीफोनों से परेशान हो गई तो मामला पुलिस तक गया । ठीक इसी तरह नोएडा के एक पब्लिक स्कूल के बच्चों ने अपनी वाईस पिं्रसिपल को भी नहीं बख्शा। हर छोटे-बड़े कस्बों अब युवाओं के प्रेम प्रसंग के दौरान अंतरंग क्षण या जबरिया यौन हिंसा के मोबाईल से वीडियो बना कर उसे सार्वजनिक करने या ऐसा करने की धमकी दे कर अधिक यौन शोषण करने की खबरें आ रही हैं। फेसबकु जैसे नियंत्रित करने वाले तंत्र पर हजारों हजार नंगे पेज उपलब्ध हैं जिनमें भाभी, चाची आंटी जसे रिश्तों के भी रिश्तों को बदनाम किया जाा है।
अब तो वेबसाईट पर भांति-भांति के तरीकों से संभोग करने की कामुक साईट भी खुलेआम है । गंदे चुटकुलों का तो वहां अलग ही खजाना है । चैटिंग के जरिए दोस्ती बनाने और फिर फरेब, यौन षोशण के किस्से तो आए रोज अखबारों में पढ़े जा सकते हैं । षैक्षिक,वैज्ञानिक,समसामयिक या दैनिक जीवन में उपयोगी सूचनाएं कंप्यूटर की स्क्रीन पर पलक झपकते मुहैया करवाने वाली इस संचार प्रणाली का भस्मासुरी इस्तेमाल बढ़ने में सरकार की लापरवाही उतनी ही देाशी है, जितनी कि समाज की कोताही । चैटिंग सेे मित्र बनाने और फिर आगे चल कर बात बिगड़ने के किस्से अब आम हो गए हैं । इंटरनेट ने तो संचार व संवाद का सस्ता व सहज रास्ता खोला था । ज्ञान विज्ञान, देश-दुनिया की हर सूचना इसके जरिए पलक झपकते ही प्राप्त की जा सकती है । लेकिन आज इसका उपयोग करने वालों की बड़ी संख्या के लिए यह महज यौन संतुश्टि का माध्यम मात्र है ।
दिल्ली सहित महानगरों से छपने वाले सभी अखबारों में एस्कार्ट, मसाज, दोस्ती करें जैसे विज्ञापनों की भरमार है। ये विज्ञापन बाकायदा विदेशी बालाओं की सेवा देने का आफर देते हैं। कई-कई टीवी चैनल स्टींग आपरेशन कर इन सेवाओं की आड़ में देह व्यापार का खुलासा करते रहे है।। हालांकि यह भी कहा जाता रहा है कि अखबारी विज्ञापनों की दबी-छिपी भाशा को तेजी से उभर रहे मध्यम वर्ग को सरलता से समझााने के लिए ऐसे स्टींग आपरेशन प्रायोजित किए जाते रहे हैं। ना तो अखबार अपना सामाजिक कर्तवय समझ रहे हैं और ना ही सरकारी महकमे अपनी जिम्मेदारी। दिल्ली से 200-300 किलोमीटर दायरे के युवा तो अब बाकायदा मौजमस्ती करने दिल्ली में आते हैं और मसाज व एस्कार्ट सर्विस से तृप्त होते हैं।
मजाक,हंसी और मौज मस्ती के लिए स्त्री देह की अनिवार्यता का यह संदेश आधुनिक संचार माध्यमों की सबसे बड़ी त्रासदी बन गया हैं । यह समाज को दूरगामी विपरित असर देने वाले प्रयोग हैं । जिस देश में स्त्री को षक्ति के रूप में पूजा जाता हो,वहां का सूचना तंत्र सरेआम उसके कपड़े उघाड़ने पर तुला है । वहीं संस्कृति संरक्षण का असली हकदार मानने वाले राजनैतिक दलों की सरकार उस पर मौन बैठी रहे । महिलाओं को संसद में आरक्षण दिलवाने के लिए मोर्चा निकाल रहे संगठन महिलाओं के इस तरह के सार्वजनिक चरित्र हनन पर चुप्पी साधे हैं । कहीं किसी को तो पहल करनी ही होगी , सो मुख्य न्यायाधीश पहल कर चुके हैं। अब आगे का काम नीति-निर्माताओं का है।

पंकज चतुर्वेदी
3/186 राजेन्द्र नगर सेक्टर 2
साहिबाबाद, गाजियाबाद 201005

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