नियमों की अनेदखी से होता है मेडिकल उपकरणों का दुरूपयोग
पंकज चतुर्वेदी
कोविड की दूसरी लहर में एक तरफ इलाज के तरीकों को ले कर अनिष्चितता का माहौल है तो यह खतरा भी मंडरा रहा है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए जो सुरक्षा उपकरण इस्तेमाल किए जा रहे हैं कहीं वे ही तो संक्रमण बढ़ाने का काम नहीं कर रहे हैं ? पिछले दिनों मध्यप्रदेष के सतना में पीपीई किट गर्म पानी से धोकर दोबारा सप्लाई करने का मामला सामने आया। सबसे दुखद यह है कि यह कुकर्म वह कारखाना कर रहा था जिसके जिम्मे इस्तेमालषुदा पीपीई किट को विधि सम्मत तरीके से निबटान करने की जिम्मेदारी थी। हालांकि इससे पहले गाजियाबाद के लोनी और प्रयागराज से इस्तेमाल किए गए हैंड ग्लब्स को साफ कर नए की तरह पैक कर बेचने के ाममले भी सामने आए थे, लेकिन यह काम कबाड़ी कर रहे थे।
कोरोना गाइडलाइन के अनुसार पीपीई किट ग्लब्स और मास्क को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने के लिए सतना जिले के बड़खेरा में इंडो वाटर बायोवेस्ट डिस्पोजल प्लांट में भेजा जाता था। एक स्थानीय युवक ने जब देखा कि वहां तो नश्ट करने के लिए लाए गए पीपीई किट व ग्लब्स को गरम पानी से धो कर अलग-अलग बंडल बनाए जा रहे हैं व यह सामग्री कई जिलों में कबाड़ी के जरिये औने-पौने दाम पर बेची जा रही है तो उसने इसका वीडियो बना कर वायरह कर दिया। उसके बाद वहां पुलिस पहुंची। दिल्ली व उप्र के कई ठिकानों पर जब्त किए गए ग्लब्स का वजन 848 किलो था जिनका सौदा कोई 15 लाख रूपए में किया गया था।
यह देष के लिए बड़ा खतरा है कि कोरोना इलाज के दौरान इस्तेमाल सामग्री के निबटान की बाकायदा प्रक्रिया निर्धारित है, इसका कानून भी है इसके बावजद ना तो अस्पतालों में और ना ही मरीजों के घर वालों द्वारा इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार पीपीई किट ग्लब्स और मास्क को एक बार ही इस्तेमाल करना है। इनको सार्वजनिक जगह पर ना फैंक कर बल्कि वैज्ञानिक तरीके से बायोवेस्ट डिस्पोजल प्लांट में नष्ट करना अनिवार्य है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कोविड-19 कचरे की गंभीरता को समझते हुए कड़े निर्देष दिए थे कि इस्तेमालषुदा मास्क और दस्तानों को काट कर कम से कम 72 घंटे तक कागज के थैलों में रखा जाए । जरूरी नहीं है कि ये मास्क और दस्ताने संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल में लाये गये हों। सीपीसीबी ने शॉपिंग मॉल जैसे वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और कार्यालयों को भी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के निपटारे के लिये इसी कार्यप्रणाली का पालन करने का निर्देश दिया है। आम आदमी द्वारा प्रयोग की गई बेकार पीपीई को अलग कूड़े दान में तीन दिन तक रखना चाहिए, उनका निपटारा उन्हें काट कर ठोस कचरा की तरह करना चाहिए। ’’ लेकिन देषभर के ष्मसान घाट हों या अस्पताल के मुर्दाघर , इस तरह की सामग्री का अंबार साफ दिखाता है कि ना तो अस्पताल और ना ही आम लोग सरकारी दिषा निर्देंषों के प्रति गंभीर हैं या हो सकता है कि उन्हें इसकी जानकारी ही ना हो। यदि सभी संस्थान व व्यक्ति निर्देंषों का पालन करते होते तो ना ही सतान में और ना ही प्रयागराज या और कहीं इतनी बड़ी संख्या में मेडिकल कूडज्ञत्र कबाडियों या इसका दुरूपयोग करने वालों तक पहुंचता ।
सीपीसीबी के निर्देष में कहा गया है कि संक्रमित रोगियों द्वारा छोड़े गये भोजन या पानी की खाली बोतलों आदि को बायो-मेडिकल कचरा के साथ एकत्र नहीं किया चाहिए। पीले रंग के थैले का इस्तेमाल सामान्य ठोस कचरा एकत्र करने के लिये नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह कोविड-19 से जुड़े बायो-मेडिकल कचरा के लिये हैं। सीपीसीबी ने कहा कि कोविड-19 पृथक वार्ड से एकत्र किये गये इस्तेमाल हो चुके चश्मा, चेहरा का कवच, एप्रन, प्लास्टिक कवर, हजमत सूट, दस्ताने आदि पीपीई को अवश्य ही लाल थैले में एकत्र करना चाहिए। दिशानिर्देश में कहा गया है कि इस्तेमाल किये जा चुके मास्क (तीन परत वाले मास्क, एन 95 मास्क आदि) , हेड कवर/कैप आदि को पीले रंग के थैले में एकत्र करना चाहिए।
बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम-2016 के अनुसार तो इस तरह का सामान अस्पताल से बगैर दिषा निर्देष का पालन किए बाहर ही नहीं आना चाहिए। वैसे तो सभी बड़े अस्पतालों में इस तरह के मेडिकल कचरे को जला कर नश्ट करने की व्यवस्था के भी निर्देष है लेकिन ऐसी व्यवस्था देष के बहुत ही गिनेचुने अस्पतालों में है।
जरा सोचें कि कोई डाक्टर इस्तेमालषुदा ग्लब्स को नया मान कर आपरेषन करने लगे और इसका संक्रमण मरीज के षरीर में पहुंच जाए। डाक्टर को लगेगा कि मरीज को दी जा रही दवा-इंजेक्षन या एंटी बायोटिक बेअसर है, जबकि असलिसत है कि चिकित्सक को खुद नहीं पता कि किसी अंजान संक्रमण का माध्यम उनके हाथ ही रहे हैं। लगातार दो साल से संक्रामक रोग झेल रहे भारत को अब मेडिकल कचरे का निबटान नियमानुसार कड़ाई से करना सुष्निचित करना ही होगा वरना सकंमएा के कारण उनके हाथ में होंगे व उसका सूत्र और कहीं तलाषा जाता रहेगा।
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