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बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

Hindu Minority are in Trouble in Pakistan

 बहुत मुश्किल है पाकिस्तान में हिन्दू होना

पंकज चतुर्वेदी

 


साल के शुरू होते ही दो  जनवरी को सिंध प्रान्त के खैरपुर  कसबे के “पीर जो गोठ” बाज़ार में दिन दहाड़े व्यापारी सुनील  को चाकुओं से गोद कर मार डाला गया , उसकी लाश दो घंटे सडक पर पड़ी रही. तीन जनवरी को बदीन जिले के गोलिरच  कसबे से पन्द्रह साल की रजनी का अपरहण 41 साल के मनुल्लाह ने किया, लड़की के परिवार वाले थाने जाते तब तक उसने लडकी का धर्म बदलवा कर नाम फातिमा शेख किया व् निकाह कर लिया . 15 जनवरी को सिंध के मोड़ कस्बे में दीवान कमलेश कुमार का अपरहण हुआ और दो दिन बाद उसकी लाश मिली. 17 जनवरी को कराची के सबसे पोश इलाके क्लिफ्टन  में बेंक से 74 ल्कः रूपये निकलवा कर  आ रहे व्यापारी वीरभान को दिन दहाड़े चाकुओं से गोद कर पैसे लूट लिए गए . 19 जनवरी कि सिंध में ही आठ साल के कान्हा के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर पत्थरों से कुचल कर निर्ममता से मार डाला गया . पाकिस्तान में इस महीने में यह पांचवे हिन्दू की ह्त्या है . अभी 23 जनवरी को ही जिला थारपारकर की  मिट्ठी तहसील में खत्री मोहल्ला के हिंगलाज भवानी के मंदिर  को ध्वस्त कर दिया गया  इस कसबे में हिन्दू आबादी 76.3 प्रतिशत है . यह एक गंभीर मसला है की बीते 22 महीनों में यह हिन्दू मंदिरों पर 11 वां बड़ा हमला है .

भले ही पाकिस्तान में गुरुनानक देव से जुड़े स्थानों के लिए करतारपुर साहेब गलियारे के माध्यम से अल्पसंख्यक सिखों को खुश करने के लिए पाकिस्तान प्रयास करता दिखता हो लेकिन बीता साल पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिए तबाही  ले कर आया है . यह तय है कि यदि पाकिस्तान में यही हालात रहे तो आगामी एक दशक में वहां हिन्दुओं का नामोनिशान मिट जाएगा , सन 2021 में वहां बीस हज़ार हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करवाया गया , 11 मंदिर तोड़े गए , 28 हिन्दुओं की ह्त्या की गई और 18 ने धार्मिक प्रताड़ना के चलते ख़ुदकुशी कर ली , सबसे बड़ी बात शायद यह दुनिया का ऐसा विरला देश हो जहां अपने यहाँ अल्पसंख्यक आबादी के आंकड़े छुपाये जाते हैं .


सन 2017 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान की आबादी कोई 20.77 करोड़ है जिसमें से 22 लाख के करीब  हिन्दू हैं . पाकिस्तान में सन 1951 में 1.60 फीसदी , 1961 में 1.45, सन 72 में 1.11 , सन  1981 में 1.85 और २०१७ में 1.73 प्रतिशत हिन्दू आबादी का आंकडा है . हालांकि पाकिस्तान में हिन्दू नेताओं का कहना है कि देश में कोई एक करोड़ हिन्दू हैं और चूँकि अधिकाँश  के पास  राष्ट्रीय पहचान पत्र (एन आई सी ) है नहीं सो उनकी गणना  होती नहीं . देश में सबसे ज्यादा हिन्दू  सिंध में, कुल आबादी का 8.73 फीसदी हैं . पंजाब राज्य में ०.19, खैबर पख्तुन्बा में ०.02, बलोचिस्तान में ०.40 और इस्लामाबाद में ०.04 प्रतिशत हिन्दू आबादी का सरकारी आंकडा है .  राजस्थान से सटे थारपारकर जिले  में  सात लाख 14 हज़ार,६९८  हिन्दू रहते हैं तो मीरपुरखास में पांच लाख के करीब, सग्घर में चार लाख 46 हज़ार हैं तो बदिन, हैदराबाद , टंडो मुहम्मद खान और रहीम यार खान जिलों में एक से डेढ़ लाख हिन्दू रहते हैं यहाँ उमरकोट जिले की आबादी का 52.15 फीसदी हिन्दू है और यहाँ के राजपूत शासक बड़े ताक़तवर हैं .  विडम्बना यह है कि हिन्दू बाहुल्य इलाकों से भी कभी हिन्दू सांसद या विधायक चुने नहीं जाते क्योंकि इस आबादी के नाम ही वोटर लिस्ट में होते नहीं या उनके वोट और कोई डालता  है .


दुर्भाग्य है कि कट्टरपंथी, आतंकी गिरोहों से समर्थन  प्राप्त और राजनितिक रूप से ताक़तवर लोग पाकिस्तान में हिदुओं की आबादी को पूरी तरह मिटाने के लिए निरंकुश काम आकर रहे हैं . इसी साल सर्वाधिक हिन्दू जनसंख्या वाले सिंध प्रान्त के  हरुनाबाद जिले के मिठ्ठी कसबे में 3700  और जैकबाबाद जिले के सगर कसबे के 5700 लोगों का सामूहिक धर्म परिवर्तन  करवा कर वहां के मंदिरों में ताले डाल दिए गए .

पाकिस्तान में भारत से जाने वालों को स्थानीय  ख़ुफ़िया दफ्तर में अपनी आमद के लिए जाना होता हा लेकिन यदि यात्री हिन्दू है तो उसका रिकार्ड अलग से होता है, उसकी डेस्क अलग से है और उससे पूछताछ भी कुछ ज्यादा होती है . पाकिस्तान की जेलों में बंद सैंकड़ों गैर मुस्लिम नाविकों या कथित जासूसी में पकड़े गए लोगों को इस तरह रतादित किया जाता है कि वे जेल में इस्लाम काबुल करलेते हैं . हिन्दू कैदी को कैद से बाहर ना निकालना, भोजन देने  में  भेदभाव , जैसे कई ऐसे मसले होते हैं कि कैदी मजबूर हो कर इस्लाम कबूल  करता है . शायद इसका कारण है कि वहां लोगों के दिल में बैठा दिया गया है हिन्दू, वह भी भारत से , देश के लिए संदिग्ध ही है .


पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाते हैं लेकिन कट्टरपंथी  जमात के विरोध के चलते ठन्डे बसते में चले जाते हैं , बीते साल वहां 18 साल से कम के लोगों के धर्म परिवर्तन पर पाबंदी का कानून आया लेकिन मुल्ला- मौलवियों के विरोध के चलते उसे वापिस ले लिया गया . वहां धर्म परिवर्तन को सबाव अर्थात पुण्य का काम कहा  जाता है और इस्लामिक कानून के तहत ऐसी पाबंदी धर्म विरोधी कह कर गवर्नर ने कानून रद्द कर दिया था . पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की बीते साल की रिपोर्ट बेशर्मी से स्वीकार करती है कि देश में हर साल अल्पसंख्यक समुदाय की कोई एक हजार लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जाता है और ये 12 से 25 साल उम्र की होती हैं . सन 2004 से 2018 के बीच अकेले सिंध प्रान्त में 7430 हिन्दू लड़कियों के अपरहण के मामले दर्ज किये गये , कहनी की जरूरत नहीं कि वहां बड़ी संख्या में मामले थाना पुलिस तक जाते ही नहीं हैं , चूँकि सिंध के बड़े जागीरदारों के यहा अधिकांश  हिन्दू  मजदुर हैं और वह भी तीन तीन पीढ़ियों से लगभग बंधुआ मजदुर की तरह, सो उनकी कोई आवाज़ नहीं होती .  धर्म बदलने के पीछे  गरीबी, अशिक्षा और वैधानिक असुरक्षा भी बड़ा कारण है . कराची शहर में  हाट-बाज़ार में सब्जी बेचने वाले , छोटे मोटे धंधे करने वाले अधिकाँश हिन्दू ही होते है जो हवाई अड्डे के पास मलेर और लालुखेत जैसे  झोपड़-झुग्गी वाले इलाकों में रहते हैं, जहां मुस्लिम माफिया का राज चलता  है .हालाँकि इस महानगर में बड़ी संख्या में डोक्टर हिन्दू हैं और उनकी खासी इज्जत है.

सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तान के शिक्षा तन्त्र में है , वहां की स्कूली किताबों में  हिन्दुओं को खलनायक बताया जाता है और आज़ादी की लड़ाई में मुस्लिम लीग और कांग्रेस की भूमिका को हिन्दू-मुस्लिम टकराव , वहां की किताबों में देश के हिन्दुओं की वफादारी को भारत के साथ जोड़ा जाता है , वहां किसी भी किताब में किसी हिन्दू चरित्र की तारीफ़ की ही नहीं जाती . पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 20-22 में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लेख था लेकिन जुलाई  1977 में जिया उल हक ने  देश में मार्शल ला घोषित किया और संविधान में बदलाव कर  गैर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर कई पाबंदियां लगा दीं , पाकिस्तान में राष्ट्रपति केवल मुस्लिम ही बन सकता है और सभी उच्च पदों पर  मुस्लिम आयतों के साथ शपथ लेना अनिवार्य है . इसके कारण वहां हिन्दुओं को सदैव दोयम माना जाता है .  पाकिस्तान में हिन्दुओं पर सबसे बड़ा खतरा वहां का ईश निंदा कानून है जिसकी आड़ में भीड़ हिंसा में किसी को भी मार देने पर कोई खास कार्यवाही नहीं होती , अभी ढेढ़ महीने पहले ही एक श्रीलंका के निवासी कपड़ा मिल के मेनेजर को इसी तरह के आरोप लगा कर निर्ममता  मार दिया गया था .

हिन्दू या सनातन धर्म का कम से कम तीन हजार साल पुराना अतीत सरहद पार है- मोईन जोद्रो या हड़प्पा के रूप में और हिंगलाज और कटासराज मंदिर सहित कई प्राचीन इमारतों के रूप में , दुर्भाग्य है कि पाकिस्तान बनते समय मुहम्मद अली जिन्ना  ने वहां धार्मिक आज़ादी की बात की थी लेकिन अब पाकिस्तान “जिन्ना के पाकिस्तान से जेहाद के पाकिस्तान” में तब्दील हो गया है  और इसका सबसे बड़ा खामियाजा हिन्दू आबादी को उठा पड रहा है . जरूरत है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय  पाकिस्तान में हिन्दू धर्म और उससे जुड़े  चिन्हों को सहेजने, वहां की हिन्दू आबादी को शैक्षिक और आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए पाकिस्तान सरकार पर दवाब बनाए .

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