प्रधानमंत्री
का लक्षदीप फ़ोटो शूट : लक्ष्य कुछ और ही है
पंकज
चतुर्वेदी
नए साल के पहले ही हफ्ते में चार जनवरी को लक्षदीप के एकमात्र
जिले के कलेक्टर ने अधिसूचना क्रमांक 34/17/2019/1205 के माध्यम से बीच रोड बनाने
के इरादे से किलतान गाँव के 218 लोगों की 1. 9258 हैक्टेयर (19258 वर्ग किलोमीटर)
जमीन को अधिग्रहित कर लिया। इनमें से किसी का भी पुनर्वास नहीं होगा,
यह आदेश में लिखा है । ध्यान दें यह ठीक वही तारीख है जिस दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षदीप के समुद्र तट पर फ़ोटो-शूट करवाया था और उसके
बाद दावे किए जा रहे हैं कि इससे इंटरनेट
पर लक्षदीप को तलाशने वालों की संख्या बढ़ गई । इससे इस सुरम्य और शांत द्वीप में
पर्यटन बढ़ जाएगा । दूसरी तरफ प्रकृति की गोद में बेहद सहजता से जीवन जीने वाले के
यहाँ के वाशिंदे भयभीत भी हैं और गुस्से में
भी । जून 21 में जब यहाँ है 'लक्षदीप डवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन,
2021' का मसौदा आया था , तब स्थानीय लोगों ने कडा
प्रतिरोध किया था । आज प्रधानमंत्री के यहाँ
आने और यहाँ अधिक पर्यटकों को आमंत्रित
करने की अपील से उनके आशंका
, भय और अविश्वास सच साबित हो रहे हैं ।
लक्षदीप में स्थानीय जीवन शैली एवं पारिस्थतिकी तंत्र नष्ट करके ‘भगवा एजेंडे’ और कॉरपोरेट हितों को थोपने की कोशिश करने से स्थानीय लोग बेहद आहत हैं हद है कि सौन्दरिकरण के नाम पर सड़क किनारे लगे नारियल के पेड़ों को भगवा रंग में पोत दिया गया । पर्यटन बढ़ाने के नाम पर कंक्रीट का विकास और अपने चहेतों को करोड़ों के निर्माण ठेके देने के स्थानीय विरोध को ढंकने के लिए हर समय चुनाव के मोड में रहने वाले प्रधानमंत्री अचानक लक्षदीप पहुँच गए और वहाँ कोई राजनीतिक बयान भी नहीं दिया । इसका एकमात्र उद्देश्य यहाँ पर्यटकों को आकर्षित करना कहा गया ।
समझना होगा कि जलवायु परिवर्तन का असर लक्षदीप के समुद्री तटों पर दिनों दिन गहरा रहा है । यहाँ की संस्कृति और लोक को गढ़ने वाले मूँगे के पहाड़ों का रंग अब धुंधला हो रहा है । समुद्र तट पर तेजी से भूमि कटाव, समुद्री चक्रवात और पानी के तापमान बढ़ने से इस द्वीप का पर्यावरणीय संतुलन पहले से ही डगमगा रहा है । मछली पकड़ने के लिए बाहरी बड़े ट्रोलर्स को अनुमति, अधिक पर्यटक आने से मानवीय दाखल बढ़ने के बाद यहाँ जलवायु परिवर्तन की मार गहरी हो सकती है ।
कोचीन
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CUSAT) के
मौसम विज्ञान विभाग के एस. अभिलाष कहते
हैं "ये द्वीप बेहद संवेदनशील
हैं ।यहाँ साल भर समुद्र अधिकांश समय अशांत बना रहता है। तूफानी लहरें,
बदलती समुद्री धाराएँ और कोरल रीफ के सफेद
होने के चलते यहाँ नैसर्गिक संरक्षण अनिवार्य है । निर्माण जैसी बड़ी पैमाने पर
मानव हस्तक्षेप स्थिति को और भी खराब करेगा," ।
लक्षदीप
में कुल 36 द्वीपों में से केवल 10 में आबादी है। सन 1973
में लक्का दीव, मिनीकाय और अमीनदीवी द्वीपसमूहों
का नाम लक्षदीप कर दिया गया। लक्षदीप प्रवाल द्वीपों का एक समूह इसमें 12
एटोल, तीन रीफ,
पांच जलमग्न बैंक और दस बसे हुए द्वीप हैं। आबादी बमुश्किल (
2011 की जनगणना के अनुसार 64473 )71 हज़ार है। आबादी का 91. 85 प्रतिशत साक्षर है
और अधिकांश इस्लाम को मानते है। वैसे तो
यहा कोई पारम्परिक आदिवासी हैं नहीं लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सूची
(संशोधन आदेश), 1956 के अनुसार,
लक्षदीप के निवासी, जिनके
दोनों माता-पिता इन द्वीपों में पैदा हुए थे, उन्हें
अनुसूचित जनजाति के रूप में माना जाता है।
यहां की
प्रमुख फसल नारियल है और प्रतिवर्ष 2,598
हेक्टेयर भूमि में 580 लाख नारियल का उत्पादन
होता है। लक्षदीप के नारियलों में विश्व के अन्य नारियलों के
मुकाबले सर्वाधिक तेल (72
प्रतिशत) पाया जाता है।यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि लक्षदीप में शतप्रतिशत ओरगेनिक खेती होती है| अनौपचारिक समुदाय
आधारित शिक्षा यहां जैव विविधता, जलवायु
परिवर्तन और आजीविका के प्रति बचपन से ही जागरूक करती है । बच्चे समुद्र में खेलने,
नारियल इकट्ठा करने,
अपने पिता के साथ मछली पकड़ने के साथ साथ समुद्री वन्यजीवों के
बारे में सीखते हैं।
एक शांत
, प्रकृति कि गोद में संतोषी जीवन जी रहे लोगों के जीवन में पिछले दिनों तब तूफ़ान
आ गया जब लक्षदीप को
मालदीव जैसा बनाने की ठानी . यह
समुद्र से घिरा है , खेत कम ही होते हैं सो पारम्परिक रूप से ये लोग माँसाहारी हैं
, प्रशासन ने पिछले साल स्कूलों के मिड डे माल में मांसाहार को ही बंद करवा दिया । वहां के प्रशासक ने तट रक्षक
अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों की झोपड़ियों को तोड़ने के
आदेश दिए थे , जिससे स्थानीय लोगों में बहुत रोष है | दूसरी तरफ यहाँ के लोग शराब
नहीं पीते और अब पूरे इलाके में शराब की दुकाने खोलने की अनुमति दे दी गयी। स्थानीय लोगों का कहना है कि
पर्यटन के उद्देश्य से स्थानी पांच या तीन सितारा होटलों या बार में शराब की
अनुमति दी जाती तो ठीक था लेकिन सरकार गाँव गाँव में लोगों को शराबी बनाने पर तुली
हैं |
नए कानून
के दो प्रावधानों से स्थानीय लोग सरकार की मंशा पर शक
कर रहे हैं| एक है 'लक्षदीप डवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन,
2021' इसके तहत प्रशासक शहर के विकास के लिए प्रशासन किसी
को भी उसकी संपत्ति से बेदखल कर सकता हैं | साथ ही प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल
ऐक्टिविटीज एक्ट जो किसी भी व्यक्ति को बगैर कारण बताये गिरफ्तार करने और लम्बे
समय तक जेल में रखने की छूट देता है | लक्षदीप
में अपराध बहुत कम होते
हैं . अधिकांश बड़े मुकदमें समुद्री सीमा से गुजरने वाले जहाज़ों से स्मगलिंग के ही
दर्ज होते हैं | यहाँ का नागरिक प्रशासन पंचायतों
द्वारा संचालित है , लेकिन नए प्रावधान में किसी भी ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने की
इजाज़त नहीं है , जिसके
दो से अधिक बच्चे हों| स्थानीय सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल का कहना है कि "लक्षदीप
में जो अभी हो रहा है,
वह पीढ़ियों से विकसित हुई लोक-मान्यताओं और उनके प्राकृतिक पर्यावास को बदलने की साजिश है।"
पर्यटन
बढ़ाने के नाम पर लक्षदीप समूह में शानदार पर्यटन विला विकास की योजना से स्थानीय पर्यावरण और समुदायों पर बहुत बुरा असर
होगा । स्थानीय लोगों का मानना है कि इससे प्राकृतिक वातावरण और द्वीप निवासियों
के पारंपरिक जीवनशैली, विशेषकर अनुसूचित
जनजातियों को नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कैसी विडम्बना है कि जो नए प्रावधान
को लागू करने से पहले यहाँ के सांसद, या पंचायत प्रतिनिधियों से कोई विमर्श ही नहीं किया गया और सीधे प्रधानमंत्री को वहाँ खड़ा कर विकास के नाम पर विनाश
की परिभाषा को पुख्ता कर दिया ।
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