आधी आबादी के जज्बे से मात मिलेगी कोरोना को
पंकज चतुर्वेदी
बस्तर के लाल आतंक से ग्रस्त उन इलाकों में
सुरक्षा बल जाने से पहले एक बार सोचते हैं लेकिन बीजापुर, दंतेवाडा के दुर्गम
अर्नी में ये अल्प शिक्षित “मितानिनें “
कई कई किलोमीटर पैदल चल कर जाती हैं , नके कंधे पर झोला और हाथ में पेंट
ब्रश होता है, ये दीवारों पर स्थानीय गोंडी में कोरोना के खतरे, उससे बचाव के नारे
लिखती हैं, फिर घर घर जा कर बुखार देखने जैसा काम कर रही हैं , मितानिन राज्य की
ऐसी जमीनी स्वास्थ्य कार्कर्ता हैं जिन्हें वेतन के नाम पर नाममात्र को धन मिलता
है वह भी अनियमित. उन पर आंचलिक क्षेत्रों
में जच्चा-बच्चा देखभाल व् जागरूकता की जिम्मेदारी होती है, इन दिनों ये
“कोरोना-योद्धा” बनी हुयी हैं, इनके पास कोई स्वास्थ्य-सुरक्षा उपकरण भी नहीं होते
.
पूरी दुनिया में एक लाख से अधिक लोगों को अपना शिकार बना चुके और अभी तक लाइलाज
नावेल कोरोना वायरस संक्रमण का अभी तक खोजा गया सबसे माकूल उपाय सामाजिक दूरी बना, रखना और संदिग्ध मरीज को समाज से दूर रख देना ही है। यह भी जरुरी है कि
कोरोना संक्रमण रोकने के कार्य में एक सैनिक की तरह कम क्र रहे लोग भी अपने परिवार
या समाज के सम्पर्क में न आयें , देशभर के प्रशासनिक आंकड़े गवाह हैं कि
सामजिक दूरी बनाये रखने, सार्वजनिक स्थानों पर बेवजह ना घूमने का
सबसे अधिक पालन भारत की आधी आबादी ने ही किया है, जाहिर है कि
इसी के चलते संक्रमण से देश की बड़ी जनसंख्या स्वत ही निरापद हो गयी , यह भी कटु सत्य है कि घर के दायरों में बंधे रहने , एक ही दिनचर्या , अपने परिवार को खुश रखने के प्रयासों में
महिलाओं को कई बार उकताहट होने लगती है . लेकिन गंभीरता से देखें तो अपने घरों के
दायरे में काम आकर रही महिलायें कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने की सबसे बड़ी
सिपाही हैं. वे खुद घर में रहती हैं, वे घर में रह रही
परिवारजनों की फरमाइशों को इस तरह पूरा करती हैं कि वे भी घर से नहीं निकलते .
भारत में कई महिलायें अपने.अपने स्तर पर इस
अदृश्य शत्रु से संघर्ष में बेहद जटिल परिस्थितियों को झेल रही हैं . एक तो जिनके
पति या बेटे चिकित्सा, स्वच्छता, सुरक्षा जैसी
सेवाओं में लगे हैं और अब संक्रमण के खतरे के चलते उनका घर आना संभव नहीं होता, ये महिलायें उनकी अनुपस्थिति में घर का संचालन कर रही हैं . भपल के
निशातपुरा थाने की महिला पुलिसकर्मियों ने तो इससे भी आगे एक कदम बाध्य, यह देखा गया कि ड्यूटी के कारण
पुलिसकर्मी घर नहीं जा पाते, और लगातार बाहर का खाना उनके स्वास्थ्य के लिएसंकट
बन रहा था , ऐसे में थाने की महिलाकर्मियों ने अपनी ड्यूटी के साथ-साथ कोई सवा सौ
लोगों का खाना बनाना भी शुरू कर दिया . उप निरीक्षक उर्मिला यादव आरक्षक दीपमाला, सारिका आदि ने थाना परिसर में ही एक रसोई घर शुरू कर लिया .
उधर आगरा में रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स अर्थात
आर पी ऍफ़ की महिला सिपाही भी पीछे नहीं हैं , इन दिनों ट्रेन
संचालन ना होने के कारण उन पर काम का बोझ कम है तो आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर आरपी,फ की पांच महिला कांस्टेबल रोजाना
सौ से सवा सौ तक मास्क तैयार कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की पुलिस लाइन में महिला सिपाहियों
ने गरीबों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने का हौसला दिखाया है। महिला सिपाही बन्दूक
पकड़ने वाले हाथों से अब सिलाई मशीन की भी कमान संभाले हुए हैं और हर दिन कई सौ
मास्क बना कर वितरित कर रही हैं . भरतपुर के डीग उपखण्ड के गांव कोरेर निवासी सुमन
देवी ने ठाना है कि वह कोरोना से लोगों को बचाने के लिएखुद अपने हाथों से मास्क
बना,गी और उसने मास्क बनाना शुरू कर दिया। सुमन देवी ने पहले अपने गांव में
मास्क बनाकर लोगों के बीच बांटना शुरू किया, फिर पड़ोसी गांव में
ग्रामीणों को मास्क दि,। इसके साथ ही सुमन देवी लोगों से अपील कर
रही हैं कि वे मास्क का प्रयोग करें, खासकर अगर उन्हें
बाहर जाना पड़े। सुमन देवी की शादी यूपी के आगरा में हुई थी। शादी के कुछ साल बाद
पति ने सुमन को छोड़ दिया। सुमन अपने दो छोटे बच्चों के साथ अपने गांव आ गईं, जहां उन्होंने अपने बच्चों को पालने के लिए खुद गांव में मशीन खरीदकर
सिलाई करना शुरू कर दिया। आज सुमन की बेटी और बेटा ग्रेजु,शन कर रहे हैं। लेकिन इस माहमारी में उसने लोगों को बचाने के लिए पहल शुरू
की और दिन रात लगकर मास्क बना, और ग्रामीणों को वितरित किये .
बिहार के मुजफ्फरपुर की महिलाओं कोरोना जैसी
महामारी से लड़ने में मोबाइल फोन को ही हथियार बना लिया है. यहाँ दर्जनों ग्रामीण महिलाएं अपने “लो सखी चेन” के
माध्यम से हर दिन सैकड़ों परिवारों को इस बीमारी से बचने के लिए जागरूक कर रही हैं.
ये महिलाएं, हालांकि कम पढ़ी.लिखी हैं, लेकिन फोन पर यह
अच्छे तरीके से बात करती हैं और इस लॉकडाउन के दौरान गांव में बाहर से आने वाले
लोगों की जानकारी भी अधिकारियों को उपलब्ध करा रही हैं.
जिले की बोचहां की रहने वाली 35 वर्षीय महिला
रोशनी कुमारी अपने पास के ही गांव में रहने वाली एक अन्य महिला को फोनकर समझा रही
हैं, ‘’ हेलो, हम बोचहा से रोशनी बोल रही हूं. क्या आप
कोरोना के बारे में जानती हैं. आपको घबराने की बजाय थोड़ा ,हतियात बरतने की जरूरत है. सबकुछ ठीक हो जा,गा. आपको गांवों
में आने वाले किसी भी बाहरी व्यक्ति के बारे में प्रशासन को सूचित करना होगा.’’
रोशनी ऐसे ही कई जान पहचान वाली महिलाओं को
फोनकर कोरोना से बचाव की सलाह दे रही थी, कि वह लोगों से
सामाजिक दूरी बना, रखें. इन गांव की महिलाओं ने लोगों को
जागरूक करने के लिएश्हलो सखी चेनश् बनाया है. इस चेन के माध्यम से एक दिन में एक महिला
20 से 30 परिवारों का हालचाल पूछ रही हैं. इन महिलाओं ने मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका जैसी क्षेत्रीय भाषा में जागरूकता
गीत भी बना, हैं. इन गीतों के जरिये भी मोबाइल फोन से लोगों तक अपनी बात पहुंचा रही
हैं.
यहाँ यह भी जानना जरुरी है कि समूचे देश के लिए
कोरोना से अलग- अलग तरीके से निबटने की योजना, शोध, क्रियान्वयन आदि उच्च स्तर पर भी महिलायें ही मोर्चा संभाले हैं .
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव प्रीति सूदन, बीमारी के प्रसार को रोकने के लिएनरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को लागू
करने के लिए सभी विभागों को संरेखित करने पर काम कर रही हैं. तमिलनाडु की
स्वास्थ्य सचिव, बीला राजेश अपने विभाग और ट्विटर के माध्यम से नागरिकों के साथ जुड़ने में
सक्रिय रहे हैं. वर्तमान में राज्य में 600 से अधिक सक्रिय मामले हैं, जो कि देश में सबसे ज्यादा हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे की
निदेशक डॉ प्रिया अब्राहम ने घातक कोरोनावायरस को अलग करके एक महत्वपूर्ण चिकित्सा
सफलता बनाई है. यह बीमारी को बेहतर ढंग से समझने और उपचार के उपचार को खोजने में
मदद करता है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च - आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ
निवेदिता गुप्ता देश के लिए उपचार और परीक्षण प्रोटोकॉल तैयार करने में व्यस्त हैं, जबकि जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप अपना समय एक टीका
खोजने की कोशिश में बिता रही हैं. पुणे की एक डायनोस्टिक फर्म में काम करने वाली
इस महिला वायरोलॉजिस्ट ने देश की पहली कोविड.19 टेस्ट किट विकसित की है. इनका नाम
है मीनल दखावे भोसले . खास बात यह भी है कि मीनल ने जब यह टेस्ट किट विकसित की तब
वह गर्भवती भी थीं. अपने बच्चे को जन्म देने के कुछ घंटे पहले तक दिन.रात मेहनत
करके उन्होंने देश की पहली मेड इन इंडिया टेस्ट किट विकसित की. माईलैब कंपनी में
अनुसंधान और विकास प्रमुख मीनल ने कोरोना वायरस परीक्षण किट केवल छह सप्ताह में
विकसित कर दी.
ऐसी बहुत सी कहानी देश भर में हैं लेकिन आप
यह ना सोचें कि हम तो घर में बंद हैं, इस समय हम क्या कर
सकते हैं ? आप भी बहुत कुछ कर सकते हैं,
कुछ तो ऊपर दिए उदाहरणों को अपनाया जा सकता है या फिर -
1 आप में से बहुत महिलायें अच्छा गाती होंगी, क्या यह सम्ब्भ्व है कि शाम को अपनी छत, बालकनी या ओटले
पर दो तीन ,नी घर के लोगों के साथ कुछ देर भजन, गीत हो जाएँ ताकि
आपके पास.पडोसी अपने घरों में रह कर ही इसका आनंद उठायें, बहुमंजिला इमारत में तो यह बहुत ही सार्थक प्रयोग होगा. अपने घरों में बंद
लोगों के लिएआपके सुर.ताल ठंडी हवा के झोंके जैसा सुकून देंगे .
2 अपने घर के करीबी थानों, अस्पताल आदि में फोन कर पूछ लें कि यदि उन्हें भोजन की जरूरत है तो बनाया
जा,, अपने पास.पड़ोस के क्लुछ घरों को इसमें जोड़ें और यदि हर घर दो.दो लोगों के लिएताजा
भोजन बनाता है तो आराम से हम दस कोरोना.सेनानियों की सेवा कर पायेंगे .
3 देश के बड़े हिस्से में ;जहां पूरी तरह सीलबंदी नहीं है, सब्जी बहुत सस्ती मिल रही है , आमतौर पर सब्जी बेचने वाले वे लोग आपके गली मुहल्लों में आ रहे हैं जो
किसी कारखाने में काम करते हैं या रिक्शा आदि चलते हैं . अपनी सुरक्षा और स्वच्छता
का ध्यान रख इन सब्जियों को खरीदा जा सकता है, आलू के चिप्स.पापड़
आदि, मिर्ची को सुखा कर या अचार बना कर, टमाटर की प्यूरी . मैथी को सुखा कर
रखने जैसे काम किये जा सकते हैं , यह सब्जी जरुरतमंदों को वितरित भी की जा
सकती हैं , इस समय दाल.छोले आदि के बनिस्पत खूब सब्जी खाएं, इससे एक तो ये बेरोजगार हो गए लोगों के पास दो पैसे आयेंगे, फिर किसान को भी अपनी फसल फैंकने की जगह कुछ दाम मिलेगा .
4 घर के आसपास बेजान जानवरों को भी कुछ
खिलाएं, उनसे दोस्ती कर लें
यदि ऐसे ही कुछ प्रयोग आप करते हैं तो आप भी “कोरोना-सेनानी’’
के तौर पर देश और मानवता की बड़ी सेवा कर सकती हैं . अपने ऐसे कार्यों को हमें
सूचित करना ना भूलें .